सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: वैज्ञानिकों ने बेहद दूर स्थित गैस और धूल के अंतरतारकीय बादल में कार्बन युक्त बड़े अणुओं की खोज की है. यह खोज अमेरिका की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के रिसर्चर्स के नेतृत्व में की गई. इसकी मदद से हमें यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि ब्रह्मांड में जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई. Science जर्नल में छपी स्टडी के नतीजे बताते हैं कि जटिल कार्बनिक अणु (कार्बन और हाइड्रोजन सहित) शायद उस ठंडे, काले गैस के बादल में मौजूद थे, जिसने हमारे सौर मंडल को जन्म दिया. ये अणु पृथ्वी के निर्माण के बाद तक एक साथ बने रहे. यह हमारे ग्रह पर जीवन की प्रारंभिक उत्पत्ति को समझने के लिए महत्वपूर्ण है |

रिसर्च टीम ने जिस अणु को खोजा है, वह पायरीन है. यह एक पॉलिक्रिलिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAH) है. ये अणु कार्बन परमाणुओं के छल्लों से बने होते हैं. कार्बन केमिस्ट्री धरती पर जीवन का आधार है. PAHs को लंबे समय से अंतरतारकीय माध्‍यमों में प्रचुरता से पाया गया है, इसलिए पृथ्‍वी पर जीवन की शुरुआत से जुड़े सिद्धांतों में इनका जिक्र प्रमुखता से होता रहा है |

क्यों ऐसे जटिल अणुओं की खोज अहम है?

हालांकि, पायरीन अब तक अंतरिक्ष में पाया गया सबसे बड़ा PAH है. लंबे समय तक यह माना जाता रहा कि ऐसे अणु अंतरिक्ष के कठोर वातावरण में बचे नहीं रह पाते. जब नए तारों का निर्माण होता है तो वे भारी मात्रा में रेडिएशन छोड़ते हैं और जटिल अणुओं को नष्‍ट कर देते हैं |

रिसर्चर्स ने स्पेस में जो अणु खोजा, उसे 1-cyanopyrene कहते हैं. यह पायरीन का एक ‘ट्रेसर’ है और तब बनता है जब पायरीन, साइनाइड से प्रतिक्रिया करता है. रिसर्चर्स ने टेलीस्कोप की मदद से, वृषभ तारामंडल में स्थित टॉरस मॉलीक्यूलर क्लाउड या TMC-1  पर नजर डाली. पायरीन से इतर, 1-cyanopyrene को रेडियो टेलीस्कोप से पकड़ा जा सकता है. चूंकि वैज्ञानिक पायरीन की तुलना में 1-cyanopyrene के अनुपात जानते हैं, वे यह अनुमान लगा सकते हैं कि अंतरतारकीय बादल में पायरीन की मात्रा कितनी है |

वैज्ञानिकों ने भारी मात्रा में पायरीन का पता लगाया. यह खोज संकेत देती है कि काफी सारी पायरीन ठंडे, काले आणविक बादलों में मौजूद होता है जो आगे चलकर तारों और सोलर सिस्टम का निर्माण करते हैं |

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जीवन की उत्पत्ति से है संबंध

धीरे-धीरे ही सही, वैज्ञानिक यह जानने लगे हैं कि पृथ्‍वी पर जीवन कैसे विकसित हुआ. हमें पता है कि जीवन अंतरिक्ष से आया – कम से कम जीवन को बनाने के लिए जरूरी जटिल कार्बनिक, पूर्व-जैविक अणु तो अंतरिक्ष से आए. सरल जीवन – जिसमें एक कोशिका होती है – पृथ्वी के जीवाश्म रिकॉर्ड में लगभग तुरंत ही (भूवैज्ञानिक और खगोलीय दृष्टि से) नजर आया, जब ग्रह की सतह इतनी ठंडी हो गई थी कि जटिल अणु वाष्पीकृत नहीं हो पाए. यह पृथ्वी के लगभग 4.5 बिलियन साल के इतिहास में 3.7 बिलियन साल से भी अधिक पहले हुआ था |

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जीवाश्म अभिलेखों में सरल जीवों के इतनी जल्दी दिखने के लिए, दो या तीन परमाणुओं वाले साधारण अणुओं से शुरुआत करने के लिए पर्याप्त समय नहीं था. नई खोज बताती है कि जटिल कार्बनिक अणु हमारे सौरमंडल के बनने की कठोर स्थितियों में भी बने रहे. नतीजा यह हुआ कि पायरीन कार्बन आधारित जीवन बनाने के लिए उपलब्ध था, जब यह लगभग 3.7 अरब वर्ष पहले पृथ्वी पर उभरा था |

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