भोपाल । मध्यप्रदेश भाजपा द्वारा अपने पितृ पुरुष पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे की 100वीं जयंती पर कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शताब्दी महोत्सव के नाम पर आजीवन सहयोग निधि को उगाही का अस्त्र बनाकर चलाया जा रहा है। इस अप्रत्याशित उगाही की जद में इस बार व्यापारी, अधिकारी, ठेकेदार के साथ-साथ भाजपा का आम कार्यकर्ता भी हैरान-परेशान और दवाब में है। कोरोना संक्रमण के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति बदहाल है। आर्थिक बदहाली में भाजपा संगठन ने पहले 100 फिर 150 करोड़ रूपए वसूलने का टारगेट संगठन को दे दिया है।
मध्यप्रदेश भाजपा ने इस वर्ष आजीवन सहयोग निधि का लक्ष्य 150 करोड़ रखा है जो पिछले कुछ वर्षों में करीब 30 से 40 करोड़ और उससे पूर्व के वर्षों में 10 से 15 करोड़ होता था। यदि 5 वर्ष पूर्व का रिकार्ड देखें तो 5 वर्ष में भाजपा ने अपना वसूली लक्ष्य 10 से 12 गुना बढ़ा दिया है। पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को समझ में नहीं आ रहा है कि दो साल से परेशान जनता, व्यापारी, ठेकेदार से मनमाना चंदा किस मुंह से मांगे।
मनमानी वसूली का थमाया टारगेट
कोरोना संक्रमण के बाद आम आदमी परेशान है। इस धन संग्रह अभियान की आंच इस बार प्रदेश के साथ जिला भाजपा व मंडल स्तर के पदाधिकारियों पर भी आ गई। मंडलों का लक्ष्य जहां दो से तीन लाख होता था, इस बार वह 12 से 15 लाख तक पहुंचा दिया गया है। वहीं जिले का लक्ष्य 15 से 20 लाख हुआ करता था, इस बार प्रदेश के किसी भी जिले का लक्ष्य 2 करोड़ से कम नहीं है। भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, उज्जैन, रीवा, सतना, धार एवं सिंगरोली इसमें अपवाद है। इन जिलों को भाजपा ने धनाढ्य मानकर 5 से 15 करोड़ की श्रेणी में रखा है।
कर्मचारी, व्यापारी, किसान भी चंदे की चपेट में
इस बार चंदे की रसीद की मार कर्मचारी, व्यापारी, किसान, अधिकारी,सरकारी कर्मचारी,ठेकेदार, डॉक्टर आदि पर भी पड़ रही है। यहां तक की तृतीय और चतृर्थ श्रेणी के जिन छोटे कर्मचारियों ने प्रदेश के आंचलिक क्षेत्रों में छोटे-मोटे नेताओं के चक्कर काट कर अपने तबादले कराए थे, अब उन नेताओं के चहेते विधायक व मंत्री खुलकर उन लोगों की रसीद काटने के लिए कह रहे हैं। सरकारी मुलाजिम होने के कारण उनके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर रसीद काटी जा रही है।
पूरी भाजपा उगाही में जुटी
150 करोड़ रुपए की मोटी रकम उगाहने के लिए शासन के मंत्री, सांसद, विधायक व संघ की व्यवस्था से आए पूर्ण कालिक संगठन मंत्रियों के प्रवास निरंतर चल रहे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत शर्मा व प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत का इस समय एक सूत्रीय कार्यक्रम समर्पण निधि ही है। चंदे के इस धंधे का सबसे अधिक विरोध भाजपा के छोटे कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों द्वारा किया जा हरहा है। उन्हें भी जबरदस्ती रसीद काटना है। 500 से 1000 रुपये की रसीद पूर्व में मण्डल व मोर्चा प्रकोष्ठों के मंडल स्तर के पदाधिकारियों की बनाई जाती थी। जिनको इस बार 5000 से 10,000 की रसीद बनवाने का फरमान जारी कर दिया गया है। मांगी गई रकम की रसीद नहीं बनवाने पर भाजपा के जिलाध्यक्ष या सहयोग निधि के जिले व मंडल के प्रभारी इन कार्यकर्ताओं को सरेआम जलील भी कर रहे हैं।
जबरदस्ती काटी जा रही है रसीद
टारगेट पूरा करने के लिए नैतिकता की सारी हदें, पार कर लक्ष्य पूरा करने में जुट गए हैं। सूत्रों का कहना है कि कर्मचारियों-अधिकारियों के विभाग उनकी पोस्ट, व्यापारियों, डॉक्टरों और ठेकेदारों की दुकान, संस्थान की हैसियत देखकर रसीद काटी का रही है। इच्छा हो या न हो सबको रसीद कटवानी पड़ रही है। एक और दो हजार से नीचे किसी की रसीद नहीं काटी जा रही है।
आफ द रिकार्ड लक्ष्य भी निर्धारित
इस निधि संग्रह अभियान की आड़ में रसीद के अलावा प्रदेश का आफ द रिकार्ड लक्ष्य क्या रखा गया है, यह अभी ज्ञात नहीं हुआ है। किन्तु रिकार्ड उगाही के जो आंकड़े विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त हुए हैं, वे बता रहे हैं कि सेवा समर्पण की बात करने वाली भाजपा अब भारतीय वसूली पार्टी के रूप में सामने आई है। भाजपा के शासन काल में ही केन्द्र ने राजनैतिक पार्टियों को अपने चंदे व आय-व्यय के हिसाब से दूर रखने का कानून बनाया है। जिसका लाभ भाजपा को ही मिलने वाला है, क्योंकि यह सूचना का अधिकार कानून या नोटिस से कभी ज्ञात नहीं हो सकेगा कि किसने कितना दिया, किससे कितना लिया।
टारगेट पूरा करो या बाहर जाओ
समर्पण निधि अभियान को लेकर भाजपा के छोटे पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि संगठन ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि हर हाल में टारगेट पूरा करना है। जिसका टारगेट पूरा नहीं होगा, वह बाहर जाने को तैयार रहे। वहीं जो टारगेट पूरा करेगा या उससे अधिक फंड जुटाएगा उसे उसका इनाम भी दिया जाएगा।
समर्पण निधि से बढ़ी टेंशन
भाजपा संगठन की समर्पण निधि अभियान से पार्टी के पुराने समर्पित वरिष्ठ नेताओं की टेंशन बढ़ गई है। सामाजिक सरोकार से जुड़े नेताओं का कहना है कि अभी तक पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता स्वेच्छा से निधि देते थे, लेकिन अब जबरिया वसूला जा रहा है। उनका कहना है कि किसी भी स्तर तक जाकर टारगेट पूरा करने को कहा गया है। हमारी समझ में नहीं आ रहा है कि जनता के बीच जाकर चंदा के लिए अड़ीबाजी कैसे करें।
दो बार टारगेट, दो बार तिथि बदली
जिला राशि
अगर मालवा 2 करोड़
अलीराजपुर 1 करोड़
अनूपपुर 1 करोड़
अशोकनगर 1 करोड़
बालाघाट 2 करोड़
बड़वानी 1 करोड़
बैतूल 3 करोड़
भिंड 1 करोड़
भोपाल 12 करोड़
बुरहानपुर 1 करोड़
छतरपुर 2 करोड़
छिंदवाड़ा 8 करोड़
दमोह 2 करोड़
दतिया 1 करोड़
देवास 4 करोड़
धार 5 करोड़
डिंडोरी 1 करोड़
गुना 1 करोड़
ग्वालियर 4 करोड़
हरदा 2 करोड़
होशंगाबाद 2 करोड़
इंदौर 15 करोड़
जबलपुर 12 करोड़
झाबुआ 1 करोड़
कटनी 4 करोड
खंडवा 1 करोड़़
खरगोन 3 करोड़
मंडला 1 करोड़
मंदसौर 2 करोड़
मुरैना 1 करोड़
नरसिंहपुर 2 करोड़
नीमच 2 करोड़
निवाड़ी 1 करोड़
– पन्ना 1 करोड़
– रायसेन 2 करोड़
– राजगढ़ 2 करोड़
– रतलाम 2 करोड़
– रीवा 4 करोड़
– सागर 4 करोड़
– सतना 4 करोड़
– सीहोर 2 करोड़
– सिवनी 2 करोड़
– शहडोल 1.5 करोड़
– शाजापुर 2 करोड़
– श्योपुर 1 करोड़
– शिवपुरी 1 करोड़
– सीधी 2 करोड़
– सिंगरौली 8 करोड़
– टीकमगढ़ 2 करोड़
– उज्जैन 5 करोड़
– उमरिया 1 करोड़
– विदिशा 2 करोड़