सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : आज की स्ट्रगल स्टोरी में कहानी है मिर्जापुर फेम राजेश तैलंग की। इस सीरीज में राजेश को गुड्डू और बबलू पंडित के पिता के रोल में देखा गया था। उन्होंने बताया कि पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ, दोनों जगह उन्हें कदम-कदम पर रिजेक्शन ही मिला है। जिस चीज के लिए उन्होंने खुद से अप्रोच किया, उसमें भी उन्हें सिर्फ असफलता ही हाथ लगी है।

पर्सनल लाइफ की बात करें, उनका पहला प्यार अधूरा रहा। आगे भी उन्होंने जिस भी लड़की से अपनी दिल की बात कही, सबने रिजेक्ट कर दिया। यही करियर में भी हुआ। जहां भी वो काम मांगने जाते, रिजेक्शन ही हाथ लगता। ऑडिशन में NOT FIT का ठप्पा हर रोज मिलना तय ही रहता था।

दोपहर करीब 2 बजे हम उनके घर इंटरव्यू करने पहुंचे। थोड़ी औपचारिकता के बाद उन्होंने बातचीत का सिलसिला शुरू किया।

किस्सा-1- आर्ट्स सीखने की जद्दोजहद

राजेश ने बताया कि उनका जन्म बीकानेर, राजस्थान में हुआ था। वो पढ़ाई में तो अच्छे थे, लेकिन परिवार की कोशिश थी कि वो आर्ट फील्ड में भी पारंगत बने। घर की कमाई का सोर्स प्रिंटिंग प्रेस था, जो उनके पिता चलाते थे। ऐसे में कम उम्र में ही राजेश की दोस्ती प्रिंटिंग मशीनों से करा दी गई। कुछ ही समय में वो फिल्मों के टिकट छापने से लेकर सर्कस का टिकट छापने तक, सब में मास्टर हो गए।

घर में हर वक्त फिल्म, नाटक और गायिकी से जुड़ी बातें होती रहती थीं। इसका गहरा असर राजेश के जीवन पर पड़ा और वो धीरे-धीरे एक्टिंग में दिलचस्पी लेने लगे। फिल्म टिकट छापने की वजह से थिएटर में आसानी से एंट्री मिल जाती थी। जिससे यह फायदा हुआ कि उन्होंने उस वक्त की सारी फिल्में देखीं।

वहीं, कहानी को समझने में बड़े भाई ने राजेश की मदद की, जो पत्रकारिता से जुड़े हुए थे।

किस्सा-2- पहला प्यार रहा अधूरा

राजेश को 13-14 साल की उम्र में पहला प्यार हो गया था। वो लड़की उनके घर के सामने वाले घर में रहती थी। जब वो छत पर आती, तो राजेश भी छत पर जाकर पतंग उड़ाने लगते। खास बात यह थी कि वो लड़की जिस रंग के कपड़े पहनती, उसी रंग का राजेश पतंग लाते और उड़ाते। पतंग के रंग से धीरे-धीरे यह बात उस लड़की को भी समझ में आ गई कि राजेश उसे पसंद करते हैं।

मगर वो सामने से अपनी दिल की बात कहते, इससे पहले ही वो लड़की किसी दूसरे शहर चली गई। इस तरह उनका पहला प्यार अधूरा रह गया।

राजेश ने यह भी बताया कि उन्हें प्यार में अधिकतर बार ना ही सुनने को मिला है। हालांकि, उनकी लव मैरिज हुई थी।

किस्सा-3- बीकानेर से दिल्ली तक का सफर

राजेश गर्मी की छुट्टियों में दिल्ली जाते थे। वहां पर उनके भाई टाइम्स ऑफ इंडिया में थे। यहां वो NSD के वर्कशॉप में एक्टिंग सीखते थे। 14-15 साल की उम्र में उन्हें पता चला कि ग्रेजुएशन के बाद NSD में एक्टिंग की पढ़ाई होती है।

ऐसे में उन्होंने बीकानेर में साइंस स्ट्रीम में ग्रेजुएशन पूरा किया। साथ में दिल्ली और बीकानेर के अमैच्योर थिएटर में काम करते रहे। फिर ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने NSD में एडमिशन लिया।