नई दिल्ली । शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने जी-20 देशों के अनुसंधान मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। बैठक इटली द्वारा आयोजित की गई थी जो वर्चुअल और प्रत्यक्ष दोनों ही रूप में हुई। जी-20 देशों के शिक्षा मंत्रियों ने एक मजबूत, सतत, दृढ़ एवं समावेशी सुधार के लिए जी-20 देशों के बीच अनुसंधान सहयोग बढ़ाने और डिजिटल स्पेस साझा करने पर विचारों का आदान-प्रदान किया। बैठक में शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी, शिक्षा राज्यमंत्री डॉ.राजकुमार रंजन सिंह, उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे और शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए सुभाष सरकार ने इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने और युवाओं को कौशल, नये कौशल एवं अतिरिक्त कौशल प्रदान करने तथा जी-20 समूह के दूसरे देशों के साथ सहयोग करने को लेकर देश की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत जी-20 के भागीदार देशों के साथ काम करने और आम समस्याओं के साक्ष्य-आधारित समाधान तलाशने को बहुत महत्व देता है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में 2020 में पेश की गई भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना करके देश के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना चाहती है। मंत्री ने बताया कि भारत ने छठी कक्षा के बाद से स्कूली पाठ्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) को शामिल किया है और क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम भी शुरू किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भाषा उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान में बाधा न बने। मंत्री ने साथ ही कहा कि भारत सरकार भारत और दूसरे देशों के बीच अकादमिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने के लिए स्पार्क (स्कीम फोर प्रोमोशन ऑफ एकेडमिक एंड रिसर्च कलैबरेशन) और ज्ञान (ग्लोबल इनीशियेटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स) जैसी विविध योजनाओं को सहायता प्रदान करती है। भारतीय संस्थान विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग की व्यवस्था कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना की है जो इस तरह की व्यवस्था को सुगम बनाएगा।