सीएनएन  सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : नोबेल प्राइज 2024 के विजेताओं की घोषणा आज से शुरू हो गई है। इस वर्ष मेडिसिन या फिजियोलॉजी के क्षेत्र में नोबेल प्राइज विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को दिया गया है। उन्हें यह प्राइज माइक्रो RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) की खोज के लिए सम्मानित किया गया है।

माइक्रो RNA यह बताता है कि शरीर में कोशिकाएं कैसे बनती हैं और काम करती हैं। दोनों जीन वैज्ञानिकों ने 1993 में माइक्रो RNA की खोज की थी। मानव जीन DNA और RNA से बने होते हैं, जिसमें माइक्रो RNA मूल RNA का हिस्सा होता है। यह पिछले 50 करोड़ सालों से बहुकोशिकीय जीवों के जीनोम में विकसित हो चुका है, और अब तक इंसानों में विभिन्न प्रकार के माइक्रो RNA के एक हजार से अधिक जीन की खोज की जा चुकी है।

माइक्रो RNA के बारे में 3 बड़ी बातें:

  1. इंसान के शरीर में माइक्रो RNA के बिना सेल और टिश्यू विकसित नहीं हो सकते।
  2. माइक्रो RNA में असाधारण बदलाव होने की वजह से कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
  3. माइक्रो RNA की जीन कोडिंग में म्यूटेशन होने की वजह से सुनने की क्षमता, आंखों और शारीरिक बनावट में समस्या आ सकती है।

रुवकुन को गहरी नींद से जगाकर बताया नोबेल मिला है
गैरी रुवकुन को नोबेल प्राइज के बारे में बताने के लिए जब फोन किया गया, तो वह गहरी नींद में थे। नोबेल कमेटी ने उन्हें नींद से जगाकर प्राइज मिलने की जानकारी दी।

नोबेल प्राइज 7 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक विज्ञान, अर्थशास्त्र, साहित्य और शांति जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाले लोगों को दिया जाएगा। यह प्राइज स्वीडन के स्टॉकहोम में प्रदान किए जाएंगे, जिसमें 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 8.90 करोड़ रुपए) का कैश प्राइज भी शामिल है।

123 साल से मिल रहा है नोबेल प्राइज
1901 में जब नोबेल प्राइज की शुरुआत हुई थी, तब से 2024 तक मेडिसिन की फील्ड में 229 लोगों को इस सम्मान से नवाजा जा चुका है। पिछली बार मेडिसिन का नोबेल प्राइज कैटलिन कारिको और ड्रू वीसमैन को दिया गया था, जिन्होंने mRNA तकनीक से बनी कोरोना वैक्सीन के जरिए दुनिया को महामारी से निकालने में मदद की थी।