बिलासपुर । शहर के उभरते व्यंग्य कार अशरफी लाल सोनी द्वारा लिखित पुस्तक सोनी की अशर्फियां  का विमोचन समारोह होटल सेंट्रल प्वाइंट के हाल में शनिवार को किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देश के लब्ध प्रतिष्ठित कवि अरुण जैमिनी थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष कवि,लेखक ,साहित्यकार डा विमल पाठक ने किया । विशिष्ट अतिथि के रूप में पद्मश्री डा सुरेंद्र दुबे और महापौर राम शरण यादव मौजूद रहे ।कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित करके किया गया ।

विमोचन समारोह में अभ्यागतो का स्वागत अशरफी लाल सोनी व उनके परिजनों ने किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कवि अरुण अरुण जैमिनी ने कहा कि अशरफी लाल सोनी से आज पहली बार मुलाकात हो रही है लेकिन उनकी रचनाओं को लेकर व्हाट्सएप एवं फेसबुक में लंबे समय से उनके हमारे बीच संवाद होते रहे हैं ।आज सोनी जी की हास्य व्यंग्य रचनाओं के संकलन पर प्रकाशित किताब सोने की अशर्फियां का विमोचन करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है ।श्री जैमिनी ने अपनी कविता में दिल्ली और हरियाणा के लोगों के बीच रहन-सहन व दरियादिली को लेकर जो वाकए पेश किए उसने काफी तालियां बटोरी ।उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना में और कहा कि कोरोना काल के बाद कई चीजें ऐसी है जो वास्तव में 21वीं सदी में हम ढूंढते रह जाएंगे ।उन्होंने कहा कि बच्चों में बचपन ,जवानों में यौवन, शीशों में दर्पन,जीवन में सावन, गांव में अखाड़ा ,शहर में सिंघाड़ा ,ढूंढते रह जाओगे ।इसी तरह आंखों में पानी ,दादी की कहानी ,प्यार के दो पल ,नल में जल, संतों की वाणी , कर्ण जैसा दानी ,घर में मेहमान ,मनुष्य का सम्मान ,पड़ोसन की पहचान 21वीं सदी में ढूंढते रह जाओगे ।

कार्यक्रम में नोएडा से आई युवा हस्ताक्षर कवियत्री मुमताज नसीम ने गीत गजल और मिसरों के माध्यम से खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने कहा घर से निकली थी मैंने सोचा न था मुलाकात मुश्किल हो जाएगी ,क्या खबर थी मौसम बदल जाएगा रास्ते में बरसात हो जाएगी ।उन्होंने गजल पेश करते हुए कहा पागलपन मैं क्या बतलाऊं सजना ,क्या क्या भूल गई तुझसे मिलकर लौट रही थी घर का रास्ता भूल गई ।उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों को लेकर अपनी प्रसिद्ध रचना को सुनाई तो श्रोता झूम उठे इसी तरह शहर के व्यंग कवि राजेंद्र मौर्य ने भी देश की वर्तमान राजनीति पर कटाक्ष करते हुए अपनी रचना पेश की ।

छत्तीसगढ़ी कविता के पुरोधा और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित कवि डॉक्टर सुरेंद्र दुबे ने हिंदी और छत्तीसगढ़ी में अपनी बानगी पेश कर खूब तालियां बटोरी उन्होंने टाइगर अभी जिंदा है के टाइटल को अपने ऊपर लेते हुए जिस तरह लोगों को हंसाया उसे काफी अर्से तक याद रखा जाएगा ।उन्होंने बिलासपुर के लोगों का आत्मविश्वास को काफी खास बताते हुए कहा कि हमने हजारों ऐसे देखे हैं जो सिगरेट रखकर माचिस की मांग करते हैं मगर बिलासपुर के लोग माचिस रखकर सिगरेट की मांग करते हैं यहां के लोगों में गजब का आत्मविश्वास है। डॉक्टर दुबे ने राजस्थान के हम नाम कभी के निधन पर लोगों ने कैसे उनके निधन की खबर पाकर घर के सामने करते हुए उसको लेकर भी हास्य के रूप में कविता पेश कर बताया कि टाइगर अभी जिंदा है ।डॉक्टर दुबे ने कवि अशरफी लाल सोनी के पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज जिस तरह टीवी मोबाइल के आने के बाद पाठकों का संकट हो गया है ।बड़े-बड़े पत्र पत्रिकाएं बंद हो गई है ऐसे में लोग आजकल पढ़ते नहीं बल्कि मोबाइल में खबरें भी पढ़ लेते हैं और कविता साहित्य भी देख लेते हैं फिर भी अशरफी लाल सोनी की यह पुस्तक पहली नहीं बल्कि दूसरी तीसरी चौथी और आगे भी वह लिखें ।ऐसा कुछ लिखें की सोनी जी राष्ट्रीय मंचों में हमारे और राष्ट्रीय कवियों के साथ बैठे हैं यही शुभकामनाएं हैं।

इस अवसर पर अशरफी लाल सोनी ने भी अपनी कई रचनाएं पेश कर वाहवाही बटोरी ।उन्होंने महात्मा गांधी बापू को फिर से आने को लेकर तथा विवाह के वक्त अपने ससुर से कार बाइक मांगने के बजाय नकद राशि देने तथा अपनी पत्नी के रूप में ससुर से बेटी देने को लेकर भी उस क्षण को हास्य का रूप देकर पेश करने पर दर्शकों ने खूब तालियां बजाई ।