न्यूयॉर्क । कोरोना वायरस से सुरक्षा में सोशल डिस्टेंसिंग से ज्यादा बड़ी भूमिका मास्क निभा सकता है। यह जानकारी हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आई है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि केवल तीन मीटर दूरी की सोशल डिस्टेंसिंग की तुलना में चेहरे पर कवर का इस्तेमाल करने से जोखिम 225 गुना कम हो सकता है। कोरोना महामारी की शुरुआत से ही विशेषज्ञ मास्क की अहमियत समझा रहे हैं।

नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से बचाव में भी एक्सपर्ट्स ने हाथों की सफाई, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मास्क के उपयोग की बात कही है। ताजा रिसर्च में जर्मनी और अमेरिका के जानकारों ने पाया है कि चेहरे को कवर करने से ज्यादा सुरक्षा मिलती है। यह पाया गया है कि अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के पास तीन मीटर की दूरी पर भी पांच मिनट के लिए खड़े हैं और दोनों ने मास्क नहीं पहना है, तो कोविड का शिकार होने की आशंका 90 फीसदी हो जाती है।

वहीं, अगर किसी ने सर्जिकल मास्क पहना है, तो यह समय 90 मिनट हो जाता है। अगर दोनों ने मेडिकल ग्रेड एफएफपी2 मास्क पहना है और दूरी पर खड़े हुए हैं, तो एक घंटे के बाद वायरस फैलने का जोखिम 0.4 फीसदी हो जाता है।

गोटिंगेन और कॉर्नेल विश्वविद्यालय के जानकारों का कहना है कि स्टडी से मिली जानकारी ‘सोशल डिस्टेंसिंग को कम उपयोगी बनाती है। एक बड़ी समीक्षा में पाया गया था कि मास्क का व्यापक इस्तेमाल संक्रमण की दर को 50 फीसदी कम कर सकता है। यह अकेले सोशल डिस्टेंसिंग से मिलने वाली सुरक्षा से दोगुना है।

पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित पेपर्स में रेस्पिरेटरी पार्टिकल्स या कणों की मात्रा और आकार को नापा गया था। इसके बाद जोखिम का पता करने के लिए नतीजों की गणित के मॉडल के जरिए गणना की गई।