सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मणिपुरी एक्टर बिजोऊ ने हाल ही में सोशल मीडिया पर हिंदी सिनेमा की प्रमुख फिल्म ‘जिगरा’ के मेकर्स पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बिजोऊ ने बताया कि उन्हें फिल्म में एक महत्वपूर्ण रोल का वादा किया गया था, लेकिन अंततः उन्हें काम नहीं मिला। इस घटनाक्रम ने फिल्म उद्योग में पूर्वी राज्यों के कलाकारों के साथ भेदभाव की चर्चा को पुनर्जीवित कर दिया है।
आरोप और बयान
बिजोऊ ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करते हुए लिखा, “मुझे ‘जिगरा’ में रोल का वादा किया गया था और मैं स्टैंडबाय पर था, लेकिन आखिरकार मुझे कोई काम नहीं मिला। इस वजह से मैंने कई अन्य प्रोजेक्ट्स भी छोड़ दिए। यह सिर्फ एक मामला नहीं है, बल्कि पूरे नॉर्थ-ईस्ट के कलाकारों के साथ इंडस्ट्री में भेदभाव की जड़ है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारे क्षेत्र के कलाकारों को समान अवसर नहीं मिलते। यह न केवल हमारी पेशेवर जिंदगी को प्रभावित करता है बल्कि हमारे आत्मसम्मान पर भी असर डालता है। मैं इस मुद्दे को सामने लाना चाहता हूँ ताकि भविष्य में ऐसी अनदेखी न हो।”
‘जिगरा’ फिल्म की रिलीज और विवाद
आलिया भट्ट की फिल्म ‘जिगरा’ शुक्रवार को रिलीज़ हुई, लेकिन रिलीज़ से पहले ही यह फिल्म विभिन्न विवादों में घिर गई है। बिजोऊ के आरोपों के बाद, फिल्म के मेकर्स ने इस संबंध में कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। हालांकि, फिल्म उद्योग में पूर्वी राज्यों के कलाकारों के साथ भेदभाव के मामलों पर पहले भी बहसें हुई हैं, लेकिन अभी तक इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
फिल्म उद्योग में पूर्वी राज्यों के कलाकारों की स्थिति
पूर्वी राज्यों के कलाकारों को अक्सर हिंदी सिनेमा में उतना ध्यान नहीं मिलता जितना की पश्चिमी राज्यों के। भाषा, संस्कृति और बाहरी रूप के कारण उन्हें अक्सर छोटे रोल या स्टैंडबाय पर रखा जाता है। बिजोऊ के इस आरोप ने इस पुरानी समस्या को फिर से सामने ला दिया है, जिससे समाज में इस विषय पर चर्चा बढ़ी है।
उद्योग विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
इस घटना पर फिल्म उद्योग के कई विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की है। वरिष्ठ निर्देशक रमेश मिश्रा ने कहा, “फिल्म उद्योग में विविधता को बढ़ावा देना जरूरी है। सभी राज्यों के कलाकारों को समान अवसर मिलना चाहिए ताकि सिनेमा वास्तव में भारत की विविधता को दर्शा सके।”
समाजसेवी और कलाकारों के अधिकारों के पक्षधर, श्रिया सिंह ने कहा, “पूर्वी राज्यों के कलाकारों के साथ भेदभाव को जड़ से खत्म करना होगा। उन्हें भी उतना ही सम्मान और अवसर मिलना चाहिए जितना अन्य राज्यों के कलाकारों को मिलता है।”
आगे की राह
बिजोऊ के इस बयान ने फिल्म उद्योग में एक नई बहस को जन्म दिया है। कई कलाकारों और समाजिक संगठनों ने इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया है और समानता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की मांग की है। फिल्म मेकर्स और संबंधित अधिकारियों से उम्मीद की जा रही है कि वे इस विषय पर गंभीरता से विचार करेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे।
निष्कर्ष
मणिपुरी एक्टर बिजोऊ के आरोप ने हिंदी सिनेमा में पूर्वी राज्यों के कलाकारों के साथ भेदभाव की वास्तविकताओं को उजागर किया है। यह समय है कि फिल्म उद्योग में विविधता और समानता को बढ़ावा दिया जाए, ताकि सभी कलाकारों को उनके कौशल और प्रतिभा के आधार पर समान अवसर प्राप्त हो सकें। समाजिक जागरूकता और औपचारिक नीतियों के माध्यम से ही इस समस्या का समाधान संभव है।