सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी गई दूसरी चिट्ठी का जवाब दिया। इस बार भी महिला और बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी की तरफ से ही जवाब दिया गया है।

उन्होंने कहा कि रेप जैसे मामलों में दोषी को फांसी की सजा का प्रावधान पहले से ही है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) में रेप के लिए कम से कम 10 साल की जेल का प्रावधान है, जिसे उम्रकैद या मौत की सजा तक बढ़ाया जा सकता है।

ऐसे में केंद्र सरकार का मानना है कि इन कानूनों का सही पालन राज्यों द्वारा किया जाए, ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके। लेकिन बंगाल में POCSO के पेंडिंग केस को लेकर ममता सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है।

कोलकाता रेप-मर्डर केस को लेकर ममता बनर्जी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी को 8 दिन में दूसरी चिट्ठी लिखी थी। इसमें ममता ने कहा था- मैंने 22 अगस्त को रेपिस्ट को कड़ी सजा देने के लिए कानून की मांग को लेकर पत्र लिखा था, लेकिन इतने संवेदनशील मुद्दे पर आपकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।

केंद्र ने ममता के दावे को खारिज किया

केंद्र सरकार ने ममता के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने रेप जैसे मामलों के निपटारे के लिए राज्य में 88 फास्टट्रैक कोर्ट चलने की बात कही थी।

अन्नपूर्णा देवी ने दूसरे लेटर में कहा कि यह सही बात है कि राज्य में 88 फास्टट्रैक कोर्ट चल रहे हैं, लेकिन केंद्र की योजना से बिल्कुल अलग हैं। इनमें बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों से जुड़े मामले, भूमि अधिग्रहण विवाद और पांच साल से ज्यादा समय तक चलने वाले केस की सुनवाई होती है।

दरअसल, ममता ने 22 अगस्त को PM को लिखी चिट्ठी में कहा था कि देश में रोज 90 रेप हो रहे हैं। फास्टट्रैक कोर्ट बनाना चाहिए। इसके जवाब में 26 अगस्त को महिला विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ममता को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि बंगाल में 123 फास्टट्रैक कोर्ट में से ज्यादातर बंद हैं। फिर ममता ने दूसरी चिट्ठी लिखकर 88 फास्टट्रैक कोर्ट चलने की बात कही थी।

ममता ने दूसरी चिट्ठी में कहा- राज्य में 88 फास्ट ट्रैक कोर्ट चालू

महिला विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी की चिट्ठी में दावा किया गया था कि राज्य में सिर्फ 11 POCSO कोर्ट ही हैं, जो चल रहे हैं, बाकी बंद पड़े हैं। इसके जवाब में ममता ने 30 अगस्त को कहा- राज्य में 88 फास्टट्रैक कोर्ट चल रहे हैं। 62 POCSO कोर्ट में भी लगातार सुनवाई हो रही है। इनके अलावा 10 नए POCSO कोर्ट का भी अप्रूवल दिया गया है। यह सब फैक्ट केंद्र से मिली चिट्ठी में ध्यान में नहीं रखे गए।

ये अदालतें स्टेट गवर्नमेंट के फंड पर चलती हैं। केस की सुनवाई और निपटारा कोर्ट के हाथ में ही रहता है। इसमें सरकारें कुछ नहीं कर सकतीं। सेंट्रल गवर्नमेंट की गाइडलाइन के मुताबिक, रिटायर्ट ज्यूडिशियल ऑफिसर्स ही फास्टट्रैक कोर्ट के प्रिसाइडिंग ऑफिसर के रूप में नियुक्त हो सकते हैं।

ममता ने मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा- हाल ही में हाईकोर्ट ने कहा था कि जघन्य अपराधों के मामले में परमानेंट ज्यूडिशियल ऑफिसर को नियुक्त करना चाहिए। इस नियुक्ति के लिए आपका दखल जरूरी है। इसके अलावा राज्य में 112 और 1098 हेल्पलाइन भी सही तरीके से चल रही हैं।