सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को राज्य संचालित विद्यालयों की नौकरियां गंवाने वाले अभ्यर्थियों से मिली हैं। इससे पहले ही इस बैठक को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने राज्य में 25 हजार 753 शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों को रद्द कर दिया था। अब इस बैठक को लेकर चर्चा है कि यह समस्या का समाधान ढूंढने की ईमानदार कोशिश है या फिर महज एक राजनीतिक कदम।
मुख्यमंत्री ने पहले ही वादा किया था कि वह इन नौकरी गंवाने वालों से मुलाकात कर उनकी बातें सुनेंगी और समाधान के रास्ते सुझाएंगी। बैठक का आयोजन कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में किया गया है।सबसे पहला विवाद इस बात को लेकर है कि क्या वे अभ्यर्थी, जिन्होंने कथित रूप से पैसे देकर नौकरी पाई थी, भी इस बैठक में उपस्थित रहेंगे। कुछ “सच्चे” उम्मीदवारों ने, जिन्हें प्रवेश पास मिला है, कहा कि वे ऐसे “अयोग्य” उम्मीदवारों को बैठक में शामिल नहीं होने देंगे जिनके पास पास नहीं है। वहीं, दूसरी ओर जिन लोगों को पास नहीं मिले हैं, उनका कहना है कि जब पूरी 25 हजार 753 की नियुक्ति सूची रद्द कर दी गई है, तो अब “सच्चे” और “दोषी” उम्मीदवारों में अंतर कैसे किया जा सकता है?
दूसरा बड़ा सवाल यह है कि इन प्रवेश पासों को किसने जारी किया। जिन अभ्यर्थियों को पास मिले हैं, उनका कहना है कि ये पास नवान्न (राज्य सचिवालय) से जारी हुए हैं। जबकि जिनके पास पास नहीं हैं, वे साफ तौर पर नहीं बता पा रहे कि इस बैठक का आयोजक कौन है और पास किसने वितरित किए हैं।
हालांकि आधिकारिक तौर पर राज्य सरकार का कहना है कि इस बैठक का आयोजन उन नौकरी गंवाने वाले अभ्यर्थियों के संगठन ने किया है जो उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अपनी नौकरियों से वंचित हो गए हैं। मुख्यमंत्री मानवता के आधार पर उनसे मिलने जा रही हैं।
बैठक से पहले ही नेताजी इंडोर स्टेडियम के बाहर प्रवेश पास धारक और गैर पास धारक अभ्यर्थियों के बीच कई बार बहस और झड़पें हो चुकी हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है, जो दोनों गुटों के बीच दूरी बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
इस बैठक में बंगाल के एक प्रतिष्ठित चित्रकार और एक प्रसिद्ध लेखक को भी आमंत्रित किया गया है, जो अपने विचार रखेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चूंकि पूरा मामला “कानूनी” और “प्रशासनिक” प्रकृति का है, ऐसे में इन कलाकारों और लेखकों की उपस्थिति अनावश्यक प्रतीत होती है। आरोप है की नौकरी खोने वाले को केवल राजनीतिक तौर पर लुभाने की कोशिश के तहत ये बैठक की गई है। एक तरह से सुप्रीम कोर्ट ने जिन्हें अवैध घोषित कर दिया, उनसे राज्य की प्रशासनिक प्रमुख मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मिलना भी बड़े सवाल खड़ा करता है।
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