सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मालदीव ने भारत के सभी सैनिकों को निकाल दिया है। ये सभी भारत लौट चुके हैं। गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “मालदीव से हमारे सभी सैनिक देश वापस आ गए हैं। हम इस मुद्दे पर काफी समय से मालदीव से बात कर रहे थे।”
ये घोषणा उस वक्त हुई जब मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर एक दिन के भारत दौरे पर थे। उन्होंने भारतीय सैनिकों के निकाले जाने पर कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग सिर्फ सैनिकों की मौजूदगी पर नहीं टिका है। भारत के सैनिकों पर जो जिम्मेदारी थी उसे अब सिविलियन्स निभाएंगे। भारत, मालदीव और श्रीलंका की सेनाएं साथ में युद्धाभ्यास करती हैं। हम इसे जारी रखेंगे।
दरअसल, 88 भारतीय सैनिक दिल्ली की तरफ से मालदीव को गिफ्ट किए गए दो हेलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते थे। आमतौर पर इनका इस्तेमाल रेस्क्यू या सरकारी कामों में किया जाता है। मालदीव को दोनों हेलिकॉप्टर 2010 और 2013 में दिए गए थे, जबकि एयरक्राफ्ट की डिलीवरी 2020 में हुई थी।
10 मई की डेडलाइन से पहले ही लौटे भारतीय सैनिक
मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने भी सभी सैनिकों के निकाल दिए जाने की पुष्टि की है। कार्यालय ने तीन दिन पहले जानकारी दी थी कि मालदीव में दो प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद 51 भारतीय सैनिक लौट गए हैं। बाकी सैन्यकर्मी भी 10 मई तक लौट जाएंगे।
सैनिकों के ऑपरेशन्स को संभालने के लिए सिविलियन टेक्निकल स्टाफ भेजा गया है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को देश से निकालने का मुद्दा चुनावी कैंपेन में उठाया था। इसे ‘इंडिया आउट’ कैंपेन नाम दिया गया था।
सितंबर में चुनाव जीतने के बाद मुइज्जू ने नवबंर में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। सत्ता में आने के 6 महीने के भीतर उन्होंने भारतीय सैनिकों को निकालने के चुनावी एजेंडा को पूरा कर दिया।
मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद कैसे बिगड़े मालदीव से भारत के रिश्ते
चुनाव के दौरान ‘इंडिया आउट’ कैंपेन चलाकर मुइज्जू ने पहले ही भारत में अपनी छवि खराब कर ली थी। बाकी कसर उनके 3 मंत्रियों ने पूरी कर दी। दरअसल, PM मोदी 4 जनवरी को लक्षदीप के दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने लक्षद्वीप की खूबसूरती की तारीफ की थी। साथी ही इस ट्रिप का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था।