सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : 1985 में रिलीज हुई दिग्गज फिल्ममेकर महेश भट्ट की फिल्म ‘जनम’ ने लोगों के दिलों पर एक अलग ही छाप छोड़ी थी। इस फिल्म से महेश भट्ट ने अपनी एक अलग पहचान बनाई। फिल्म की कामयाबी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 33वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में इसे 5 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था।

फिल्म ‘अर्थ’, ‘डैडी’ और ‘हमारी अधूरी कहानी’ की तरह ही जल्द ही फिल्म जनम पर आधारित नाटक देखने को मिलेगा। पटकथा लेखक दिनेश गौताम जोर शोर से इसकी तैयारी में जुट गए हैं। जनम एक ऐतिहासिक फिल्म है, क्योंकि इस फिल्म में महेश भट्ट ने अपने जीवन के हर पन्ने को खोलकर दुनिया के सामने रख दिया था और ऐसी हिम्मत रखने वाले लोग इंडस्ट्री में बहुत कम हैं।

इस नाटक में महेश भट्ट के शिष्य इमरान जाहिद मुख्य भूमिका निभाएंगे। इमरान जाहिद इससे पहले इराकी पत्रकार मुंतधर अल-जैदी की किताब पर आधारित ‘द लास्ट सैल्यूट’ जैसे उल्लेखनीय नाटक और ‘अर्थ’ ‘डैडी’ और ‘हमारी अधूरी कहानी’ जैसी महेश भट्ट की कई फिल्मों के नाट्य रूपांतरणों में अभिनय कर चुके हैं।

महेश भट्ट के साथ मीटिंग के बाद दिनेश गौतम ने स्क्रीन राइटिंग का काम शुरू किया

इस फिल्म को रंगमंच पर उतारने का बीड़ा दिनेश गौतम ने उठाया है। महेश भट्ट के साथ मीटिंग के बाद उन्होंने स्क्रीन राइटिंग का काम शुरू कर दिया है। दिनेश गौतम का कहना है, ‘इमरान और महेश जी साथ आते हैं तो कमाल होना तय है।

इन दोनों के साथ बैठक के बाद ये निश्चित हुआ कि अब महेश जी की फिल्म ‘जनम’ पर काम किया जाए। वैसे तो महेश जी की हर फिल्म में उनके असल जीवन की झलक मिलती है पर जनम से बड़ा कुछ नहीं क्योंकि ‘जनम’ से ही किसी का भी पूरा जीवन, पूरा वजूद जुड़ा होता है।

सामाजिक वर्जनाओं के बीच मिला जीवन उसे फिल्म में उतारना और दुनिया के सामने ये बात स्वीकारना ये हिम्मत की बात है। इसी हिम्मत का नाम है महेश भट्ट, उनकी बनाई किसी भी फिल्म को किसी भी तौर पर दोहराना बेहद चुनौती भरा होता है, लेकिन महेश जी का इस दोहराव की प्रक्रिया में भी साथ रह कर हौसला देते रहना इस काम को मुमकिन बनाता है। जनम’ और ‘डैडी’ को लिखते हुए मेरा यही अनुभव रहा है।

फिल्म के पर्दे पर दिखने वाला अब वही संघर्ष थिएटर में जल्द देखने को मिलेगा। फिल्म का मुख्य किरदार राहुल अपने पिता की तरह ही मशहूर होना चाहता है। वो एक महत्वकांक्षी फिल्म प्रोड्यूसर है, लेकिन उसके सामने कई दुश्वारियां हैं। राहुल को ना तो पिता का सपोर्ट है, ना ही उसके पास कोई अच्छी स्क्रिप्ट है और ना ही फिल्म बनाने के लिए पैसे।

ऐसे मुश्किल हालात में एक दोस्त उसकी मदद करता है। राहुल की गर्लफ्रेंड उसके लिए एक बड़ा सहारा बनती है और मुश्किल समय में उसके साथ खरी रहती है, लेकिन राहुल की असली पीड़ा अपने पिता की नजरों में स्वीकार किए जाने की है।

महेश भट्ट ने कहा- ‘मैंने जो बनाया है वो सार्वजनिक है

अपनी इस फिल्म के बारे में बात करते हुए महेश भट्ट नॉस्टेल्जिया से भर जाते हैं। वो कहते हैं, ‘मैंने जो बनाया है वो सार्वजनिक है, अब वह सिर्फ मेरा नहीं है। हालांकि इतने साल हो गए हमारी भावनाएं अभी भी उससे जुड़ी हुई हैं। जनम’ का प्रसारण 1985 में हुआ था और पहली बार मेरी याददाश्त में फिल्म खत्म होने तक 14 मिनट की देरी हुई थी। उस समय यह एक अभूतपूर्व बात थी। फिल्म को बहुत प्रशंसा मिली और इसे 1986 के भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के पैनोरमा खंड में शामिल किया गया।