महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हेरफेर का आरोप लगाते हुए विपक्षी गठबंधन अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले की घोषणा मंगलवार को NCP-शरद पवार के नेता प्रशांत जगताप ने की। जगताप पुणे की हडपसर सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे।
विपक्षी गठबंधन 13 दिसंबर को EVM में गड़बड़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाएगा। यह फैसला मंगलवार को विपक्षी नेताओं के बीच इस बैठक के बाद लिया गया। यह मीटिंग NCP(SP) प्रमुख शरद पवार के घर पर हुई थी। इसमें AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल और जाने-माने वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी भी शामिल हुए।
INDIA ब्लॉक ने दावा किया है कि EVM में कथित हेरफेर के कारण वे महाराष्ट्र चुनाव हार गए। पिछले महीने हुए चुनावों में, भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने 288 सीटों में से 235 सीटें जीतीं, जबकि विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को 46 सीटें मिलीं।
दरअसल, विपक्षी दलों ने रिजल्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन विधायकों के शपथ ग्रहण का बहिष्कार किया था। इससे पहले, विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि वोटिंग के दौरान EVM में छेड़छाड़ की गई और VVPAT की पर्चियों से वोटों का मिलान नहीं हो रहा है। 95 सीटों के 104 कैंडिडेट्स ने आयोग से EVM और VVPAT पर्चियों के मिलान करने की मांग की थी। आयोग के अनुसार 31 जिलों की 95 सीटों पर वैरिफिकेशन की मांग की गई थी।
मारकडवाडी विवाद, जिसकी वजह से EVM पर विपक्ष ने सवाल उठाए मारकरवाडी के लोगों ने 3 दिसंबर को बैलेट पेपर से मॉक पोलिंग रखी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे रोक दिया था। 23 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया था। सोलापुर जिले की मालसिरस विधानसभा सीट से NCP (शरद पवार) उम्मीदवार उत्तमराव जानकर ने जीत हासिल की थी। उन्होंने बीजेपी के राम सातपुते को हराया था।
रिजल्ट के बाद मालसिरस विधानसभा के मारकडवाडी गांव के लोगों ने दावा किया था कि गांव के ज्यादातर लोगों ने NCP प्रत्याशी को वोट दिए थे, लेकिन EVM के आंकड़े के मुताबिक बीजेपी प्रत्याशी को 1003 वोट मिले हैं और NCP प्रत्याशी को 843 वोट। ये गलत है।
गांववालों का दावा है कि BJP प्रत्याशी को 100-150 वोट से ज्यादा नहीं मिल सकते हैं। गांववालों ने खुद के खर्चे पर स्थानीय प्रशासन से बैलट पेपर पर दोबारा मतदान कराने की अपील की थी, लेकन प्रशासन से इसे खारिज कर दिया था।
इसी के बाद EVM में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए 4 दिसंबर गांववालों ने खुद बैलट पेपर पर मतदान का कार्यक्रम आयोजित किया। 3 दिसंबर को सारी तैयारी की गई थी। पोलिंग बूथ तक बनाया गया था, लेकिन प्रशासन ने बैलेट पेपर से ग्रामीणों की तरफ से वोटिंग को रोक दिया था। 17 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।
VVPAT मशीन का इस्तेमाल पहली बार 2014 में हुआ भारत में VVPAT मशीन का इस्तेमाल पहली बार 2014 के आम चुनावों में किया गया था। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (BEL) ने बनाया है।
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