सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: यूपी मदरसा एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसला सुरक्षित रखा गया है। अक्टूबर में हुई सुनवाई के दौरान यूपी मदरसा एक्ट की संवैधानिकता पर सवाल उठाए गए, और कोर्ट ने इस मामले पर गहराई से विचार किया।

क्या है मुद्दा?
मदरसों के अस्तित्व और उनकी संवैधानिकता को लेकर बहस जारी है। यूपी सरकार के वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराजन ने कहा कि पूरे कानून को रद्द करना सही नहीं होगा। वहीं, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मदरसा एक्ट को पूरी तरह से रद्द करना, “बच्चे को नहाने के पानी के साथ बाहर फेंकने” जैसा होगा।

शिक्षा का अधिकार और धार्मिक संस्थान
CJI का कहना है कि सभी धार्मिक संस्थानों में शिक्षा का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का लोकाचार विभिन्न धर्मों के संगम से बना है, और इस प्रकार की संस्थाएं उस विविधता का हिस्सा हैं। कोर्ट ने पूछा कि केवल मदरसों पर ही सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं, बाकी धार्मिक शिक्षण संस्थानों को भी इस बहस का हिस्सा क्यों नहीं बनाया जा रहा है?

NCPCR का सवाल
इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) से भी सवाल पूछा गया कि उन्होंने केवल मदरसों को ही अपने दायरे में क्यों रखा है, जबकि बाकी धार्मिक संस्थानों में भी शिक्षण होता है। कोर्ट ने इस पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की बात कही।

अब फैसले का इंतजार
अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेती है और क्या यूपी मदरसा एक्ट को संवैधानिक माना जाएगा या इसमें कोई बदलाव किए जाएंगे।