सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्यप्रदेश में सभी लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त कर भाजपा ने कठिन समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बड़ा सहारा दिया है। जिसमें मध्यप्रदेश की महिला मतदाताओं का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है। विधानसभा चुनाव अभियान से ही प्रधानमंत्री मोदी मध्यप्रदेश में सबसे खास चेहरा बने हुए हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा था और भारी जनसमर्थन प्राप्त किया। ‘मोदी के मन में मध्यप्रदेश, मध्यप्रदेश के मन में मोदी’ यह मुख्य नारा था, जिसमें संगठन के परिश्रम ने प्राण फूंक दिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सत्ता में तीसरी बार वापसी एक असाधारण घटना है। भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र में अपनी लोकप्रियता और प्रासंगिकता बनाए रखना इतना आसान नहीं होता। भाजपा जैसे दल के लिए जिसने 8 वें दशक में सिर्फ दो लोकसभा सीटों के साथ अपनी यात्रा प्रारंभ की हो, यह चमत्कार ही है। अनपेक्षित परिणामों के बाद भी केंद्र में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी और एनडीए सबसे बड़ा गठबंधन है। मध्यप्रदेश वैसे भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के अद्भुत समन्वय से चलने वाला राज्य रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संगठन मंत्री हितानंद शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे दिग्गजों की जुगलबंदी ने जो इतिहास रचा है, उसे लंबे समय तक याद किया जाएगा। इसके अलावा नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राजेन्द्र शुक्ल, फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेंद्र कुमार जैसे अनेक नेता भाजपा के सामाजिक और भौगोलिक विस्तार को स्थापित करते हैं।
संघ की प्रयोगभूमि होने के कारण मध्यप्रदेश पर पूरे देश की निगाह थी। मध्यप्रदेश में यह वैचारिक यात्रा हिंदुत्व,भारतबोध की यात्रा तो है ही समाज के सभी वर्गों की हिस्सेदारी ने इसे सफल बनाया है। स्त्री शक्ति इसमें सबसे प्रमुख है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जहां स्त्री शक्ति को भाजपा के साथ गोलबंद करने में अहम भूमिका निभाई, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आते ही सामान्य जन के जीवन स्तर को उठाने के प्रयास किए। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीब परिवारों को संबल दिया, जिस बदलाव को स्त्री शक्ति ने महसूस किया। स्त्री भारतीय परिवारों की धुरी है। भारतीय राजनीति में स्त्री को इस तरह से केंद्र में रखकर कभी विचार नहीं किया गया। यह बात रेखांकित करना चाहिए कि आखिर देश की राजनीति में स्त्री के सवाल हाशिए पर क्यों रहे हैं? स्त्री आखिर चाहती क्या है? वह चाहती है सुखद, सुरक्षित, आनंदमय जीवन और अपने बच्चों का सुनहरा भविष्य। एक अदद छत जिसमें वह अपने परिवार के साथ चैन से रह सके।
नरेंद्र मोदी ने सामान्य भारतीय स्त्री के इस मन और जीवन की समस्याओं को संबोधित किया। स्त्री को सुरक्षित परिवेश और बेटियों को आसमान छूने की प्रेरणा दी। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सिर्फ नारा नहीं एक सामाजिक संकल्प बन गया। स्त्री कल्याण की योजनाएं मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को ‘मामा’ के रूप में स्थापित कर गयीं। शिवराज जी मध्यप्रदेश में इसी लोकप्रियता के कारण अपनी सीट आठ लाख से ज्यादा मतों से जीते और मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी सफलता मिली। भाजपा मध्यप्रदेश की सरकार सामाजिक कल्याण की योजनाएं और केंद्र की योजनाओं ने कमाल किया।
मध्यप्रदेश ने साबित किया है कि सत्ता और संगठन में समन्वय से ही अच्छे परिणाम पाए जा सकते हैं। महिलाओं को अपने साथ गोलबंद कर भाजपा ने अपना आधार मध्यप्रदेश में बहुत मजबूत कर लिया है। महिला आरक्षण बिल के बाद निश्चित ही आने वाले समय में राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए महिलाओं को आगे आना ही होगा। ऐसे में मध्यप्रदेश में होने वाले संगठनात्मक प्रयोग अन्य राज्यों के लिए भी सबक होंगे।