आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : करण पटेल की मानें तो इंडस्ट्री में टीवी एक्टर्स के लिए एक गलत परसेप्शन है। इंडस्ट्री के लोग समझते हैं कि टीवी एक्टर्स फिल्मों में लीड रोल नहीं कर सकते। पॉपुलर टीवी एक्टर करण पटेल यही सोच बदलना चाहते हैं। करण ने कहा कि छोटे पर्दे के एक्टर्स फिल्मी सितारों से किसी भी तरीके से कम नहीं हैं। इसी वजह से करण ने एक फिल्म डर्रान छू में काम किया। अपनी इस फिल्म को लेकर करण पटेल ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की है।
टीवी एक्टर्स के प्रति नजरिया बदलने के लिए फिल्म बना रहा हूं- करण
करण पटेल ने कहा- ये फिल्म मैं लोगों का टीवी एक्टर्स के प्रति नजरिया बदलने के लिए बना रहा हूं। ईमानदारी से कहूं तो इंडस्ट्री में टीवी एक्टर्स का एक बहुत गलत परसेप्शन हैं। लोगों को लगता हैं कि टीवी एक्टर्स फिल्मों में नहीं चलते। मैं कुछ मंझे हुए डायरेक्टर से कहना चाहता हूं कि कुछ फिल्मी एक्टर्स से ज्यादा हमारे टीवी का चेहरा अपने ऑडियंस के साथ हफ्तों के साथ कनेक्शन बना सकता है।
फिल्म एक्टर्स के मुकाबले टीवी एक्टर्स ज्यादा अडाप्टेबल हैं। टीवी एक्टर के साथ अगर आप फिल्म बनाओ तो वो जल्दी, सस्ती और शायद बेहतर परफॉरमेंस भी मिल जाए। हॉलीवुड में ऐसा नहीं होता। वहां के बड़े से बड़े एक्टर्स टीवी और फिल्म दोनों करते हैं। मुझे उम्मीद है कि बहुत जल्द एक्टर को एक्टर के नजरिए से देखा जाएगा। अब तो ऐसा हाल है कि जिनको आप फिल्मी हीरो समझते थे वो चल नहीं रहे।
किरदार में फिट बैठना बहुत चुनौतीपूर्ण
करण पटेल ने कहा- इस किरदार में फिट बैठना बहुत चैलेंजिंग था। मुझे काफी वजन घटाना पड़ा था। बॉडी लैंग्वेज बदलना बहुत जरूरी था क्योंकि मैं ठहरा मुंबई से और फिल्म की कहानी छोटे शहर के सीधे-साधे लड़के की है। हमारी बोली बहुत अलग थी, हर सिचुएशन को रिएक्ट करने का अंदाज अलग हुआ करता था।
भोपाल के लोग बहुत खुश-मिजाज होते हैं
हमने पूरी फिल्म भोपाल में शूट की हैं। वहा के आर्टिस्ट्स के साथ वक्त बिताना, हंसी-मजाक करना काफी इंटरेस्टिंग रहा। मुझे उनके बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। वहां के लोगों का कुछ अजीबो-गरीब तकियाकलाम होते हैं जोकि बहुत ही फनी हैं। साथ ही वह बहुत ही सुंदर शहर हैं खास तौर पर वो झील जिसके बीचों-बीच हमने शूट किया था।
हालांकि वहां की गर्मी बर्दाश्त नहीं होती थी। वहां के लोगों को इस गर्मी में काम करने के लिए मेरा सलाम। भोपाल के लोग बहुत खुश-मिजाज वाले होते हैं।
एक बात जो मैंने नोटिस की वो ये थी कि वहां के लोग हर बात में, ‘हो जाएगा’ कहते हैं। आप कुछ बोलो, उनका जवाब हुआ करता था, ‘हां, बिल्कुल हो जाएगा।’ (हंसते हुए) वहीं खाने की बात करे तो सेट पर हमारे किसी मेंबर के घर से खाना आया करता था।
‘ये है मोहब्बतें’ बंद होने के बाद मुझे टीवी पर काम नहीं मिला
“टीवी शो ‘ये है मोहब्बतें’ बंद हुए तकरीबन 4 साल हो चुके हैं। इसके बाद से ही मुझे टीवी पर करने के लिए कुछ नहीं मिला। इस बीच, हां, एकाध वेब सीरीज मिली थी। ऐसे में कभी-कभी ऐसे दिन भी आते थे, जब सोचता था कि क्या जिंदगी हो गई हैं। कुछ भी करने को नहीं था। ऐसा नहीं था कि मैं रोज डिप्रेस बैठा रहता था।
ऐसे समय में बस यही सोचकर आगे बढ़ता कि ये वक्त भी निकल जाएगा। अच्छा दिन भी बिता तो बुरे दिन भी बीत जाएगा।