सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: भोपाल एल एन आयुर्वेद महाविद्यालय भोपाल द्वारा नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं हेतु ज्ञानआरंभ कार्यक्रम का आयोजन किया गया|

जिसमें प्रथम दिवस प्राचार्य सपन जैन द्वारा नव प्रवेश छात्रों को महाविद्यालय का परिचय देते हुए चरक शपथ दिलाई गई तत्पश्चात वाइस चांसलर एलएनसीटी विश्वविद्यालय एन के थापक द्वारा अपने उद्बोधन में छात्र-छात्राओं से पूरे समर्पण के साथ पढ़ाई करने हेतु आवाहन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति एलएनसीटी विश्वविद्यालय जय नारायण चौकसे द्वारा नवागंतुक छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आने वाला समय आयुर्वेद का है आप सभी का भविष्य उज्जवल है । कार्यक्रम का समापन डॉ विशाल शिवहरे द्वारा आभार प्रदर्शन के साथ किया गया।

द्वितीय दिवस उद्बोधन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सदस्य भारतीय चिकित्सा परिषद, चिकित्सा आकलन और रेटिंग बोर्ड, नई दिल्ली वैद्य सुश्रुत कनौजिया थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय गुरु, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ, नई दिल्ली, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य आरोग्य भारती, मधुसूदन देशपांडे थे। सचिन एलएनसीटी समूह अनुपम चौकसे विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम का प्रारंभ भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पअर्पण के साथ हुआ। तत्पश्चात अनुपम चौकसे सचिव एलएन सिटी समूह द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए कहा कि मेडिकल जैसे विषय में छात्रों की उपस्थिति विशेष रूप से मायने रखती है क्योंकि यदि जब आप कभी डॉक्टर बन जाएंगे और मरीज आपके पास आएगा तब आप यह नहीं कह सकते कि इस बीमारी के बारे में मैं पढ़ नहीं पाया मैं अनुपस्थित था अतः उपस्थित तो अनिवार्य है ।

डॉ मधुसूदन देशपांडे ने अपने उद्बोधन में आयुर्वेद के इतिहास से लेकर अध्यात्म वेद व गीता के ज्ञान से बच्चों को अवगत कराया व वर्तमान परिपेक्ष में खरगोश व कछुआ की कहानी बताते हुए छात्रों से अहम और आलस को त्यागते हुए आयुर्वेद के अध्ययन हेतु तत्पर होने को कहा।

मुख्य वक्ता सदस्य, एनसीआईएसएम सुश्रुत कनौजिया ने अपने उद्बोधन में संस्कृत को देव भाषा बताते हुए अपनी भाषा में पढ़ाई करने हेतु कहा साथ ही कहा कि यदि आपको पढ़ना है तो स्वयं के अंदर प्यास जगाने की आवश्यकता है क्योंकि जिस प्रकार यदि जानवर को पानी के बीचो-बीच भी खड़ा कर दें तो भी जब तक उसे प्यास नहीं होगी वह पानी नहीं पिएगा अतः अपने अंदर पुरानी चीजों को डिलीट कीजिए मेमोरी में स्पेस बनाइए तब आप आयुर्वेद को अपने दिमाग में बैठा पाएंगे।

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