टाइगर स्टेट एमपी में अपने घर के आंगन में अपने भाई-बहन के साथ पढ़ रहे 11 साल के बच्चे को एक तेंदुआ उठाकर ले गया। बच्चे का शव करीब 18 घंटे बाद घर से 3 किलोमीटर दूर जंगल में मिला। आक्रोशित लोगों ने वन विभाग की टीम पर हमला बोल दिया। जिसमें रेंजर बुरी तरह घायल हो गए।

तेंदुए ने मासूम को ऐसे बनाया शिकार

मामला सीधी जिले के संजय गांधी टाइगर रिजर्व के गिजोहर गांव का है। शनिवार रात करीब 8 बजे होंगे। चौथी में पढ़ने वाला 11 साल का कमल बैगा अपने 3 भाई-बहनों के साथ घर के आंगन में ही पढ़ाई कर रहा था। मां घर के कामकाज में जुटी थी। पिता राम बहादुर बैगा भी अपने काम में लगे थे। इसी दौरान घात लगाए बैठा तेंदुआ अचानक आंगन में आ गया। उसने कमल को दबोच लिया और जंगल की तरफ भाग गया।

कमल के साथ पढ़ाई कर रहे उसके भाई-बहन चिल्लाए, आवाज सुनकर मां-पिता भी वहां आ गए। देखते ही देखते ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। परिजनों ने वन विभाग और पुलिस को सूचना दी। साथ ही ग्रामीणों के साथ रात में भी बच्चे को खोजने निकल पड़े। कई घंटे ढूंढने के बाद भी बच्चा नहीं मिला तो निराश होकर लौट आए और सुबह होने का इंतजार करने लगे। रविवार सुबह एक बार फिर बच्चे को खोजने निकले, तब तक वन विभाग की टीम भी आ गई थी। कड़ी मशक्कत के बाद बच्चे का शव गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर संजय गांधी टाइगर रिजर्व के जंगल में मिला। परिजन ने रविवार शाम को बच्चे का अंतिम संस्कार किया।

ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम पर किया हमला

ग्रामीणों ने शनिवार रात में ही वन विभाग की टीम को घटना की सूचना दे दी थी, लेकिन टीम रविवार सुबह वहां पहुंची। ऐसे में ग्रामीण वन विभाग की टीम पर आक्रोशित हो उठे। उन्होंने वन कर्मचारियों के साथ मारपीट कर दी। इस हमले में बस्तुआ रेंजर महावीर पांडेय बुरी तरह घायल हो गए। जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद रीवा रेफर किया गया। दूसरे अधिकारियों को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा।

दरअसल ग्रामीणों की सूचना पर रविवार को बस्तुआ रेंजर महावीर पांडेय, पोंडी रेंजर कविता रावत और दुबारी रेंजर आकाश परौहा के साथ वनरक्षक और चौकीदार पहुंचे थे। टीम परिवार से जानकारी लेकर बालक को ढूंढने पहुंची थी। इस दौरान भीड़ आक्रोशित हो गई। क्योंकि 1 महीने पहले भी एक तेंदुआ बच्चे को उठाकर ले गया था।

बाद में कुसमी ब्लॉक के एसडीएम आरके सिन्हा, एसडीओपी कुसमी रोशनी सिंह ठाकुर और तहसीलदार रोहित सिंह परिहार समेत कई पुलिस अधिकारी और कई थानों का बल गिजोहर गांव पहुंचा। अधिकारियों ने काफी देर तक ग्रामीणों को समझाया। जिसके बाद उनका गुस्सा शांत हुआ।

इससे पहले भी 4 साल का बच्चा हो चुका तेंदुए का शिकार

ये कोई पहला मौका नहीं जब तेंदुए ने बच्चे को अपना शिकार बनाया। करीब एक महीने पहले भी जिले के संजय टाइगर रिजर्व के पोंडी में एक आदमखोर तेंदुए ने 4 साल के बच्चे पर हमला बोला था। तेंदुआ बच्चे के माता-पिता के सामने ही उसे उठा ले गया था। बच्चे की मौत के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

ग्रामीणों ने वन विभाग पर लगाए गंभीर आरोप

ग्रामीणों का कहना है कि यदि हम लोग जंगल में लकड़ी, महुआ, तेंदूपत्ता तोड़ते हैं तो विभाग के कर्मचारी हमें रोकते है। गलती से भी अगर हमारी बाइक से किसी बंदर या अन्य किसी वन्य जीव की मृत्यु हो जाती है तो हमारे खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाता है। लेकिन हमारे बच्चों और मवेशियों को जंगली जानवर हमलाकर मौत के घाट उतार देते है, तो वन विभाग मुआवजा देकर घटना को भूल जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग के कर्मचारी उन्हें प्रताड़ित करते है। वन विभाग ने गांव तक आने जाने के लिए कच्ची सड़क की मरम्मत तक नहीं कराई है।

परिजनों को दी सहायता राशि

घटना के बाद मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने बालक के पिता राम बहादुर बैगा को वन विभाग की तरफ से 8 लाख की सहायता राशि देने की जानकारी दी। साथ ही तात्कालिक सहायता राशि ट्राइबल विभाग से 10 हजार रुपए एवं पंचायत से 10 हजार रुपए दिए। साथ ही खाद्यान्न की व्यवस्था प्रशासन की ओर से दी गई। वन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर हरिओम द्विवेदी ने बताया कि 8 लाख रुपए की सहायता राशि 24 घंटे अंदर पीड़ित के खाते में भेज दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि कोई जानवर लोगों पर हमला करता है तो उसे पकड़कर जंगल से अलग करते हैं। हमारी टीम लगातार नजर बनाए हुए है। लोगों से कहा है कि जंगल में अकेले नहीं जाएं।