सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: इजराइल और लेबनान के बीच जारी संघर्ष के बीच भारतीय सेना लेबनान में अपनी मौजूदगी को बनाए रखे हुए है। भारतीय जवान 46 वर्षों से यूनाइटेड नेशंस के शांति सेना मिशन में भाग ले रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य लेबनान और इजराइल के बीच स्थायी शांति सुनिश्चित करना है।

हालात की गंभीरता

इजराइल-लेबनान युद्ध के दौरान अब तक 700 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इजराइल ने हिजबुल्लाह के कमांडरों के खिलाफ एयरस्ट्राइक की है, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है। इस बीच, भारतीय सेना के जवान हवलदार सुरेश आर (33) को हाल ही में इजराइल के अस्पताल से एयर एंबुलेंस के जरिए भारत लाया गया, जहां वे सिर में चोट लगने के कारण भर्ती थे।

UNIFIL का गठन

भारतीय जवानों की तैनाती का इतिहास मार्च 1978 से जुड़ा है, जब इजराइल ने लेबनान पर हमला किया। इस हमले के बाद यूएन सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पास किया, जिसके तहत इजराइल को लेबनान से पीछे हटने का आदेश दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, संयुक्त राष्ट्र ने क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए UNIFIL (यूनाइटेड नेशंस इंटरिम फोर्स इन लेबनान) का गठन किया।

भारतीय जवानों की भूमिका

भारत के लगभग 900 जवान इस समय लेबनान में तैनात हैं, जो इस मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनका कार्य न केवल शांति बनाए रखना है, बल्कि संघर्षरत पक्षों के बीच संवाद और सहयोग को भी बढ़ावा देना है।

पाकिस्तानी सैनिकों की जान बचाने का उदाहरण

भारतीय सेना की शांति स्थापना के प्रयासों की एक और मिसाल 1999 में देखी गई, जब भारतीय जवानों ने सिएरा लियोन में पाकिस्तानी सैनिकों की जान बचाई। इस मिशन के दौरान भारतीय जवानों ने साहसिकता का परिचय देते हुए आतंकवादियों के घेरे से पाकिस्तानी सैनिकों को सुरक्षित निकाला।

निष्कर्ष

भारतीय सैनिकों की तैनाती लेबनान में शांति और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। उनका प्रयास न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा में योगदान देता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर शांति बनाए रखने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।