सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : 1 अप्रैल को इजराइल ने सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमला किया। ईरान ने 12 दिन बाद यानी 13 अप्रैल को इसके जवाब में इजराइल पर 300 मिसाइलों और ड्रोन से अटैक कर दिया।

मिडिल ईस्ट में तनाव के चलते इंटरनेशनल ऑयल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ सकती हैं। अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा असर भारतीयों की जेब पर पड़ सकता है।

इस स्टोरी में जानिए इजराइल-ईरान जंग से तेल की कीमत पर कितना असर पड़ सकता है, कैसे 21 साल पहले अमेरिका और इजराइल ने भारत को ईरान से तेल नहीं खरीदने के लिए मजबूर किया था…

तेल सप्लाई के रूट पर ईरानी मिसाइलें तैनात

ईरान ने इजराइल पर सीधा हमला करने से एक दिन पहले ओमान की खाड़ी में होर्मुज पास से गुजर रहे एक जहाज पर कब्जा कर लिया था। दुनिया के 20% तेल की सप्लाई इसी होर्मुज पास से होती है। यहां ईरान की कई सौ बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें तैनात हैं।

दोनों देशों में विवाद बढ़ा तो इजराइल इस इलाके से जहाजों की आवाजाही रोक देगा। ईरान स्वेज नहर को भी ब्लॉक करने की धमकी दे चुका है। द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक स्वेज नहर से हर दिन 5.5 मिलियन बैरल से ज्यादा क्रूड ऑयल की सप्लाई होती है। वित्त वर्ष 2023 में भारत का 65% क्रूड ऑयल स्वेज नहर के रास्ते से आया था।

स्वेज नहर और होर्मुज पास में किसी भी तरह की रुकावट तेल की सप्लाई का बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा। इन सब अटकलों के बीच तेल के बाजार पर इसका असर दिखाई देने लगा है। ईरान और इजराइल में तनाव की शुरुआत 1 अप्रैल को हुई थी। तब से अब तक क्रूड ऑयल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 90 डॉलर प्रति बैरल हो चुके हैं।

अमेरिकी थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ के मुताबिक अगर तनाव कम नहीं हुआ तो तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल भी जा सकते हैं। एनर्जी पॉलिसी और जियोपॉलिटिक्स एक्पसपर्ट नरेंद्र तनेता बताते हैं कि ऑयल पूरी दुनिया में एक राजनीतिक कमोडिटी है। सारा तेल मध्य पूर्व (मिडिल ईस्ट) से आता है। यहां बड़े-बड़े तेल उत्पादक देश जैसे सऊदी अरब, कुवैत, ओमान और UAE हैं।

एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा के मुताबिक तेल की कीमत 2 चीजों पर निर्भर करती है…

  1. डिमांड और सप्लाई: इस वक्त तेल की डिमांड और सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं है। मांग से ज्यादा बाजार में तेल उपलब्ध है। ऐसे में तेल की कीमत ऊपर जाने की संभावना कम है। हालांकि, अगर ईरान ने होर्मुज पास पर किसी तरह से सप्लाई रोकने की कोशिश की तो सप्लाई चेन डिस्टर्ब होने से क्रूड ऑयल की कीमत तेजी से बढ़ सकती है।
  2. जियोपॉलिटिक्स: फिलहाल तेल की कीमत में जियोपॉलिटिक्स अहम भूमिका में दिख रही है। जबसे ईरान और इजराइल में तनाव बढ़ा है तभी से तेल की कीमतें ऊपर जा रही हैं। मार्केट कुछ बड़ा हो जाने के डर में है। इस डर को ऐसे समझिए…

तेल अंतराष्ट्रीय बाजार में 2 तरह के लोग होते हैं जो तेल की कीमतों पर असर डालते हैं…

  1. अंदाजा लगाने वाले यानी स्पैक्युलेटर्स: ये जरा सा तनाव होने पर भी ओवर रिएक्ट करते हैं, जिससे बाजार में तेल की कीमतें तेजी से बढ़ने लगती हैं।
  2. परिस्थितियों को समझने वाले लोग: ये एकाएक तेल की कीमत बढ़ने की बात नहीं कहते हैं। ये पहले सिचुएशन का एनालिसिस करते हैं।

इनके मुताबिक अभी की परिस्थिति में ईरान पूरा युद्ध लड़ने की स्थिति में नहीं है। इजराइल पहले से ही गाजा में जंग लड़ रहा है। ऐसे में दोनों देश आपस में लंबी-चौड़ी जंग नहीं लड़ेंगे। इसलिए तेल की कीमत पर थोड़ा बहुत उछाल होगा, लेकिन ज्यादा बढ़ने की संभावना नहीं है।

नरेंद्र आगे कहते हैं कि ये तनाव बड़ी जंग में तब्दील होगा, ऐसा मुझे नहीं लगता है। फिलहाल जो भी चल रहा है वो साइकोलॉजिकल वॉरफेयर है। ऐसे में जब तक इजराइल जवाबी कार्रवाई नहीं करता है तब कुछ भी कहना मुश्किल है।