आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : IPL-2023 में गुजरात के खिलाफ आखिरी 5 बॉल पर 5 छक्के…ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध पहले टी-20 की आखिरी बॉल पर छक्का और दूसरे में 9 बॉल पर 31 रन। ये पारियां भारत के भावी फिनिशर के तौर पर रिंकू सिंह की दावेदारी को मजबूत कर रही हैं।
अलीगढ़ के 26 साल के रिंकू ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज में 175.00 के स्ट्राइक रेट और 52.50 के औसत से 105 रन बनाए। रिंकू ने सीरीज में 60 बॉल खेलीं और 17 बाउंड्री (13 चौके और 4 छक्के) जमाई। यानी कि उन्होंने हर चौथी बॉल पर बाउंड्री मारी।
करियर की शुरुआत में फिनिशर के तौर पर उभरे रिंकू क्या एमएस धोनी और युवराज सिंह जैसे दिग्गज फिनिशर्स की जगह ले पाएंगे। इसके जवाब में भास्कर ने एक्सपर्ट्स और आंकड़ों के जरिए तलाशे। आगे पूर्व क्रिकेटर और KKR के असिस्टेंट कोच अभिषेक नायर से बातचीत…
सवाल- रिंकू ने अपनी टेक्निक में सुधार का क्रेडिट आपको दिया। आपने उनके खेल को कैसे सुधारा?
जवाब- IPL के दौरान जब मैं उससे मिला था। उनकी टेक्निक में थोड़ी समस्या थी, वह कोशिश कर रहे थे कि तकनीकी रूप से बेहतर हो सके। शॉर्ट गेंद के खिलाफ खेलने में उन्हें परेशानी थी। रिंकू सीखने के लिए हमेशा आगे रहते थे, ज्यादा सवाल नहीं पूछते और ज्यादा से ज्यादा सीखने पर ध्यान देते हैं।
सवाल- रिंकू की सबसे बड़ी ताकत क्या मानते हैं?
जवाब- रिंकू जो भी कहते हैं, वो करते हैं और खुद में विश्वास रख कर पूरी मेहनत करते हैं। उन्हें अगर ट्रेनिंग में कुछ टास्क दिया जाता है तो काम खत्म किए बिना ग्राउंड से जाते नहीं हैं। कोच की बातों को वे ओपन माइंड से सुनते हैं और कमजोरियों पर काम भी करते हैं।
सवाल- क्या आप रिंकू को टीम इंडिया के नए फिनिशर के रूप में देखते हैं?
जवाब- टी-20 में सबसे मुश्किल रोल फिनिशर का ही है। जिस अंदाज से वह खेल रहे हैं, मुझे लगता है थोड़ा इंतजार करना चाहिए। क्योंकि उन्हें शुरुआती दिनों में सक्सेस तो मिल रही है लेकिन आने वाले दिनों में वह फेल भी होंगे।
उनकी कंसिस्टेंसी इस वक्त बेहद अच्छी रही है। उनका टी-20, रणजी या IPL प्रदर्शन देखें तो उन्होंने करीब 50 से ज्यादा की औसत से रन बनाए हैं। मुझे लगता है कि इस वक्त इंडिया में अगर कोई कंसिस्टेंटली गेम को फिनिश कर रहे हैं तो वह रिंकू ही हैं। रिंकू प्रेजेंट में रहना पसंद करते हैं और मुझे भी यही लगता है। वह फिलहाल अच्छा कर रहे हैं और उन्हें अभी के मैचों पर भी ध्यान देना चाहिए और ज्यादा आगे का नहीं सोचना चाहिए।
सवाल- खिलाड़ियों को आप मुश्किल फेज से कैसे निकालते हैं?
जवाब- सबसे पहले हम समझते हैं कि प्लेयर की समस्या क्या है। उसके बाद हम पर्टिकुलर प्लेयर्स के लिए अलग से प्लान बनाते हैं। जिसे जो प्रोब्लम रहती है, उसी हिसाब से हम उनकी कमियों को दूर करने का प्लान बनाते हैं। कई बार खिलाड़ी स्किल की बजाय मेंटल सिचुएशन से डील कर रहे होते हैं। ऐसे में हम दोनों को लिंक करते हैं और फिर उसी हिसाब से सॉल्यूशन भी निकालते हैं।