सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: Bofors घोटाला, जो 1987 में सामने आया था, ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी थी। आरोप था कि स्वीडिश हथियार निर्माता कंपनी Bofors ने ₹64 करोड़ की रिश्वत दी थी, ताकि भारतीय सेना से ₹1,437 करोड़ का तोपखाने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया जा सके। इस घोटाले ने कांग्रेस पार्टी को इतना बड़ा झटका दिया था कि 1989 के आम चुनाव में पार्टी सत्ता से बाहर हो गई।

अब, 37 साल बाद, CBI ने इस पुराने मामले को फिर से खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ख़बरों के अनुसार, CBI ने अमेरिकी प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर माइकल हर्षमैन से मदद मांगी है, जो 1987 में इस घोटाले की जांच से जुड़े थे।

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी चल रही है, जो हाईकोर्ट के उन आदेशों को चुनौती देती है, जिनमें कई आरोपियों को बरी कर दिया गया था।

अब सवाल यह उठता है कि क्या Bofors घोटाला फिर से Congress के लिए राजनीतिक मुश्किलें खड़ी करेगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले के फिर से खुलने से राजनीति में क्या बदलाव आता है।

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