सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: कान्ह-सरस्वती नदी के शुद्धिकरण पर अब व्यापक ध्यान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि इन नदियों की सफाई के लिए चार अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के तहत 1622 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 2028 में सिंहस्थ का आयोजन होगा, और मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी हालत में कान्ह-सरस्वती का गंदा पानी क्षिप्रा नदी में नहीं मिलना चाहिए।

चार योजनाओं में से दो केंद्र सरकार की नमामी गंगे और अमृत 2.0 योजनाओं के तहत हैं, जबकि राज्य सरकार स्मार्ट सिटी कोटे और सिंहस्थ शेल्फ प्रोजेक्ट के अंतर्गत भी प्लान तैयार कर रही है।

तीन दिन पहले हुई बैठक
नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने हाल ही में हुई बैठक में कहा कि अब यह सुनिश्चित करना होगा कि जो भी काम हो, वह स्थायी हो। आईआईटी इंदौर को एक्सपर्ट के रूप में सभी कामों का विश्लेषण करने के लिए शामिल किया गया है, और उनकी हरी झंडी के बाद ही शहरी क्षेत्रों में काम शुरू किए जाएंगे।

मुख्य योजनाएँ और उनकी स्थिति:

  1. नमामी गंगे योजना:
    • प्रस्तावित काम: 120, 40, 35 एमएलडी के एसटीपी और इंटरसेप्शन/डायवर्जन का निर्माण, 15 साल तक संचालन और मेंटेनेंस।
    • लागत: 511 करोड़ रु.
    • वर्तमान स्थिति: 6 सितंबर 2024 को केंद्र से वित्तीय स्वीकृति मिल चुकी है। कंसलटेंट के तकनीकी मूल्यांकन की मंजूरी प्रक्रिया जारी है।
  2. अमृत-2.0 योजना:
    • प्रस्तावित काम: डी-सेंट्रलाइज 80 और 40 एमएलडी के एसटीपी का निर्माण और सीवर लाइन बिछाने का काम।
    • लागत: 568 करोड़ रु.
    • वर्तमान स्थिति: 12 अगस्त 2024 को एसएलटीसी से मंजूरी मिल चुकी है। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
  3. सिंहस्थ (स्मार्ट सिटी योजना):
    • प्रस्तावित काम: डी-सेंट्रलाइज 30, 30, 35, 35, 20, 20 एमएलडी के छह एसटीपी और दो 10-10 एमएलडी सीईटीपी का निर्माण।
    • लागत: 348 करोड़ रु.
    • वर्तमान स्थिति: एमओजी लाइन की जमीन पर एसटीपी निर्माण की योजना जल्द ही शुरू होगी।
  4. सिंहस्थ 2028 (शेल्फ प्रोजेक्ट):
    • प्रस्तावित काम: इंटरसेप्शन/डायवर्जन, पंपिंग स्टेशन, ग्रेविटी सीवर लाइन बिछाने का काम और मेंटेनेंस के लिए मशीनों की खरीदारी।
    • लागत: 195 करोड़ रु.
    • वर्तमान स्थिति: आईआईटी इंदौर द्वारा डीपीआर का वेटेज किया जा रहा है।

इस महत्त्वपूर्ण परियोजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सिंहस्थ 2028 से पहले कान्ह-सरस्वती नदियाँ साफ रहें और गंदा पानी क्षिप्रा में न मिले।