सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर केस में सियालदह कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। CBI ने आरोपी संजय रॉय के खिलाफ 7 अक्टूबर 2024 को चार्जशीट फाइल की थी। कोर्ट ने 9 जनवरी को सुनवाई पूरी कर ली थी। CBI ने आरोपी संजय के लिए फांसी की मांग की है।
आरजी कर हॉस्पिटल में 8-9 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर हुआ था। 9 अगस्त की सुबह डॉक्टर की लाश सेमिनार हॉल में मिली थी। CCTV फुटेज के आधार पर पुलिस ने संजय रॉय नाम के सिविक वॉलंटियर को 10 अगस्त को अरेस्ट किया था।
मामले की जांच कर रही CBI ने 10 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दी थी। जिसमें बताया था कि सियालदह ट्रायल कोर्ट में रेगुलर सुनवाई हुई और 81 गवाहों में से 43 से पूछताछ की गई।
इधर, शनिवार को फैसले से पहले पीड़ित के पिता ने कहा है कि आरोपी की सजा कोर्ट तय करेगा, लेकिन जब तक हमें न्याय नहीं मिल जाता हम अदालत का दरवाजा खटखटाते रहेंगे।
फैसले से पहले पीड़ित के पिता के 4 दावे
- हमारे वकील और CBI ने हमें कोर्ट न जाने को कहा है। CBI ज्यादा कोशिश नहीं कर रही है। इसमें कोई न कोई जरूर शामिल है। मुझे हाल की कोर्ट कार्यवाही के बारे में कुछ नहीं पता।
- CBI ने मुझे कभी कहीं नहीं बुलाया, वे एक या दो बार हमारे घर आए लेकिन जब भी हमने उनसे जांच के बारे में पूछा, उन्होंने हमेशा कहा कि जांच चल रही है।
- मेरी बेटी की गर्दन पर काटने के निशान थे, लेकिन वहां से सैम्पल नहीं लिया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी ठोस सबूत नहीं मिला।
- DNA रिपोर्ट में बताया गया है कि वहां 4 पुरुष और 2 महिलाएं मौजूद थीं। हम चाहते हैं कि इसमें शामिल सभी लोगों को सजा मिले।
फैसले में देरी के 3 कारण
पहला कारण- 2 वकीलों ने केस छोड़ा
- सियालदह कोर्ट से 2 वकीलों ने पीड़ित परिवार का केस छोड़ा। इस कारण एक मौका ऐसा भी आया जब पीड़ित परिवार को रिप्रेजेंट करने के लिए कोई वकील नहीं था।
- पीड़ित के परिवार ने सबसे पहले एडवोकेट बिकास रंजन भट्टाचार्य को अपॉइंट किया था। भट्टाचार्य ने सियालदह कोर्ट के साथ-साथ हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में CBI जांच की मांग करने में अहम भूमिका निभाई थी।
- ट्रेनी डॉक्टर के पिता ने कहा था- हम चाहते थे कि भट्टाचार्य हाईकोर्ट और सियालदह कोर्ट में हमारा केस लड़ें। सुप्रीम कोर्ट के लिए हम कोई दूसरा वकील ढूंढ रहे थे। भट्टाचार्य को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने सभी अदालतों में हमारा केस छोड़ दिया।’
- हालांकि, सूत्रों ने कहा कि भट्टाचार्य की व्यस्तता के कारण पीड़ित परिवार को नया वकील ढूंढना पड़ा था। भट्टाचार्य ने 9 सितंबर को आखिरी बार पीड़ित परिवार का प्रतिनिधित्व किया था।
- इसके बाद सितंबर से एडवोकेट वृंदा ग्रोवर और उनकी टीम ने पीड़ित परिवार को सियालदह कोर्ट समेत सभी अदालतों में रिप्रजेंट किया। 11 दिसंबर को वृंदा ग्रोवर ने खुद को केस से अलग कर लिया। पीड़ित के पिता ने कहा- वृंदा ग्रोवर ने मुझे मैसेज किया और कहा कि वो केस नहीं लड़ेंगी। 12 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट में सुनवाई थी। उस दिन हमारी बात रखने के लिए कोई वकील नहीं था।
- वृंदा ग्रोवर के केस छोड़ने के बाद पीड़ित परिवार ने डॉक्टरों से मदद की गुहार लगाई। पीड़ित परिवार ने सीनियर एडवोकेट करुणा नंदी से उनका पक्ष रखने की अपील की। अब उनके चैंबर के एडवोकेट राजदीप हलधर सियालदह कोर्ट में पीड़ित परिवार का केस लड़ रहे हैं।
दूसरा कारण- CBI को मामला देरी से सौंपा गया
- 9 अगस्त की घटना के बाद आरजी कर अस्पताल के डॉक्टरों और पीड़ित परिवार ने मामले की CBI जांच की मांग की, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जांच के आदेश नहीं दिए।
- हाईकोर्ट के आदेश के बाद 13 अगस्त को CBI को जांच सौंपी गई। इसके बाद CBI ने नए सिरे जांच शुरू की, लेकिन घटना को 5 दिन हो चुके थे।
तीसरा कारण- अन्य आरोपियों के खिलाफ CBI 90 दिन में चार्जशीट दायर नहीं कर पाई
- आरोपी संजय रॉय के अलावा मामले में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिसिंसपल संदीप घोष को भी आरोपी बनाया गया, लेकिन CBI 90 दिन के अंदर घोष के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं कर पाई, जिस कारण सियालदह कोर्ट ने 13 दिसंबर को घोष को इस मामले में जमानत दे दी। इसके अलावा ताला थाने के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल को भी चार्जशीट दायर न करने के कारण जमानत दी गई।
10 आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट
CBI ने 25 अगस्त को सेंट्रल फोरेंसिक टीम की मदद से कोलकाता की प्रेसीडेंसी जेल में संजय का पॉलीग्राफ टेस्ट किया था। अधिकारियों ने करीब 3 घंटे उससे सवाल-जवाब किए। संजय समेत 10 लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट हुआ था। इनमें आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, ASI अनूप दत्ता, 4 फेलो डॉक्टर, एक वॉलंटियर और दो गार्ड्स शामिल थे।
CBI ने कहा था- ट्रेनी डॉक्टर का गैंगरेप नहीं हुआ
CBI ने 7 अक्टूबर 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट में चार्जशीट दायर की, जिसमें कोलकाता पुलिस में सिविक वॉलेंटियर संजय को एकमात्र आरोपी बताया गया। एजेंसी ने बताया कि ट्रेनी डॉक्टर का गैंगरेप नहीं हुआ था।
चार्जशीट में 100 गवाहों के बयान, 12 पॉलीग्राफ टेस्ट रिपोर्ट, CCTV फुटेज, फोरेंसिक रिपोर्ट, मोबाइल की कॉल डिटेल और लोकेशन शामिल रहीं। यह भी कहा गया है कि पीड़ित के शरीर से मिला सीमन सैंपल और खून आरोपी से मैच हुआ।
वहीं क्राइम सीन पर मिले छोटे बाल भी फोरेंसिक जांच के बाद आरोपी के बालों से मैच हुए। संजय का इयरफोन, मोबाइल ब्लूटूथ से कनेक्ट हो गया था। इसे भी अहम सबूत माना गया।
पैरेंट्स ने कहा था- सियालदह कोर्ट को सजा सुनाने से रोका जाए
CBI जांच को लेकर ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने असंतोष जताया। उन्होंने मामले की निगरानी कर रहे सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की है। उन्होंने अपील की है कि सियालदह स्पेशल कोर्ट को इस मामले में सजा सुनाने से रोका जाए और पूरे मामले की एक बार फिर नए सिरे से जांच की जाए।
फोरेंसिक रिपोर्ट से आया ट्विस्ट, गद्दे पर हाथापाई के सबूत नहीं कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस में 24 दिसंबर को सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (CFSL) की एक रिपोर्ट सामने आई। जिसमें कई सनसनीखेज खुलासे थे। 12 पेज की रिपोर्ट में कहा गया था कि सेमिनार हॉल में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे पता चले कि वहां पीड़ित से रेप के बाद हत्या की गई।
रिपोर्ट के 12वें पेज की आखिरी लाइनों में लिखा था- जिस जगह ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था, वहां संघर्ष का कोई सबूत नहीं मिला। जिस गद्दे पर शव था, उस पर भी किसी तरह की हाथापाई के निशान नहीं मिले।
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