सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में आरोपी संजय रॉय को लेकर कई खुलासे हुए हैं। पुलिस ने सोमवार (12 अगस्त) को बताया कि संजय एक ट्रेंड बॉक्सर है।
8-9 अगस्त की रात उसने हॉस्पिटल के सेमिनार हॉल में डॉक्टर से दरिंदगी के दौरान बुरी तरह मारपीट की थी। संजय ने डॉक्टर को इतनी जोर से मारा कि उनके चश्मे का शीशा टूटकर उनकी आंखों में घुस गए। इसके कारण आंखों से ब्लीडिंग हुई थी।
रेप के बाद डॉक्टर का गला घोंटा
पुलिस ने ट्रेनी डॉक्टर के परिवार को कल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सौंपी, जिसमें बताया गया कि बेरहमी से रेप और मारपीट के बाद आरोपी ने डॉक्टर की गला और मुंह दबाकर हत्या कर दी। घटना शुक्रवार सुबह 3 से 5 बजे के बीच होने का अनुमान लगाया गया है।
शुक्रवार (9 अगस्त) की सुबह हॉस्पिटल की इमरजेंसी बिल्डिंग के सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था। वह नाइट ड्यूटी पर थीं। CCTV कैमरे में संजय शुक्रवार सुबह करीब 4 बजे इमरजेंसी बिल्डिंग में घुसता दिखा था। इसी के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया था।
2019 से कोलकाता पुलिस के लिए काम कर रहा आरोपी
कोलकाता पुलिस के मुताबिक, 33 साल का संजय पिछले कुछ सालों के दौरान कुछ सीनियर पुलिस अधिकारियों के करीब आ गया था। वह 2019 में सिविक वॉलंटियर के रूप में कोलकाता पुलिस में शामिल हुआ था। उसे कोलकाता पुलिस वेलफेयर बोर्ड में तैनात किया गया था।
फिर संजय को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में पुलिस चौकी पर भेज दिया गया। पुलिस और अस्पताल अधिकारियों का करीबी होने के कारण सभी विभागों में उसकी पहुंच थी। किसी में भी अस्पताल के अंदर उसकी मनमानी को रोकने की हिम्मत नहीं थी।
रेप-मर्डर के बाद पुलिस बैरक में जाकर सोया
पुलिस में संजय का प्रभाव इतना था कि उसकी पहुंच कोलकाता पुलिस की चौथी बटालियन के बैरक तक थी, जहां वह रहता था। रेप और मर्डर को अंजाम देने के बाद वह पुलिस बैरक में ही गया और वहीं सो गया था। उठने के बाद उसने अपने कपड़े तक साफ किए थे।
खुद को पुलिस बताता था, गिरफ्तार होने पर बोला- फांसी दे दो
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सिविक वॉलंटियर के तौर पर संजय को करीब 12 हजार रुपए मिलते थे। वह कोलकाता पुलिस लिखी टीशर्ट पहनकर घूमता था। उसने अपनी बाइक पर भी पुलिस का स्टिकर लगा रखा था। वह अपने आपको पुलिसकर्मी ही बताता था। कई अन्य वॉलंटियर उसे पुलिस ही समझने लगे थे।
सिविक वॉलंटियर उनको कहते हैं, जो पुलिस के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं। वे ट्रैफिक मैनेजमेंट और डिजास्टर रिस्पॉन्स समेत कई तरह के कामों में मदद करते हैं। सिविक वॉलंटियर को पुलिस को मिलने वाली कोई सुविधाएं नहीं दी जाती हैं।
मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि आरोपी आरजी कर अस्पताल में पेशेंट को भर्ती कराने के नाम पर पैसा वसूलने वाले रैकेट का हिस्सा था। अगर अस्पताल में पेशेंट के लिए बेड नहीं मिलता था, तो वह पास के किसी नर्सिंग होम में बेड ढूंढने के नाम पर पेशेंट के रिश्तेदारों से पैसा चार्ज करता था।
पुलिस ने उसे जब गिरफ्तार किया तो उसने पूछताछ शुरू होते ही गुनाह कबूल कर लिया। उसे कोई पछतावा नहीं था। उसने बेफिक्री से कहा कि चाहो तो मुझे फांसी दे दो।