सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्य प्रदेश के बुधनी उपचुनाव के दौरान कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह किसानों के मुद्दे पर जनता को गुमराह कर रही है। कांग्रेस के सोशल मीडिया प्रभारी योगेन्द्र सिंह परिहार ने दावा किया है कि बीजेपी किसानों की समस्याओं को लेकर जनता में भ्रम फैला रही है और अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है।
योगेन्द्र सिंह परिहार ने कहा, “हमने देखा कि हमारे नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी जब लाडकुई स्थित डबल लॉक वेयरहाउस में रुके, तो वहाँ सैकड़ों किसान खाद की कमी को लेकर संघर्ष कर रहे थे। यह स्पष्ट है कि शिवराज सिंह चौहान के क्षेत्र में डीएपी खाद की भारी कमी है।”
कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम ने बुधनी के विभिन्न गांवों का दौरा किया और खाद की स्थिति का जायजा लिया। टीम ने पाया कि किसानों को उनकी जरूरत के अनुसार डीएपी नहीं मिल रही है, बल्कि उन्हें नैनो डीएपी और नैनो यूरिया दिया जा रहा है, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है।
एक किसान का बयान:
“हमें डीएपी चाहिए था, लेकिन हमें नैनो यूरिया देकर कहा गया कि इसे इस्तेमाल कर लो। हमारी फसल को जो खाद चाहिए, वह समय पर मिलना चाहिए, लेकिन यहाँ कभी डीएपी मिलती ही नहीं।”
कांग्रेस नेता ब्रजेश पटेल, अजय सिंह खोखर और राजीव अग्रवाल ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि खाद की कमी से किसान पहले से ही नाराज हैं और किसी को उन्हें भड़काने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी किसानों की समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए दिग्विजय सिंह के खिलाफ झूठी शिकायतें कर रही है।
योगेन्द्र सिंह परिहार का कहना है, “यहां स्थिति ऐसी है कि किसानों को खाद नहीं मिल रही, लेकिन बीजेपी अपनी गलती छिपाने के लिए दिग्विजय सिंह जी पर झूठे आरोप लगा रही है।”
इस पूरे मामले पर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या केंद्र सरकार की अनुमति से ही किसानों को कम मात्रा में खाद दी जा रही है और नैनो यूरिया देकर अप्रत्यक्ष रूप से उन पर आर्थिक बोझ बढ़ाया जा रहा है। कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार पर किसानों की उपेक्षा का आरोप भी लगाया है।
बुधनी उपचुनाव में यह मुद्दा तेजी से गरमा रहा है। कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी को किसानों की असली परेशानियों को समझने की जरूरत है और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। अब देखना होगा कि इस पर राज्य सरकार का क्या जवाब आता है।