सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कइंटीग्रेटेड ट्रेडन्यूज़ भोपाल: केरल विधानसभा ने राज्य का नाम ‘केरल’ से बदलकर ‘केरलम’ करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया।

केरल सरकार ने एक बार फिर केंद्र से राज्य का नाम बदलने की अपील की है। इस बार राज्य विधानसभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर ‘केरल’ को ‘केरलम’ के रूप में मान्यता देने की मांग की है। मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने यह प्रस्ताव पेश किया और जोर देकर कहा कि यह नाम मलयालम भाषी समुदायों की पुरानी मांग है। पिछले साल भी ऐसा ही प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ तकनीकी बदलावों का सुझाव दिया था।

मुख्यमंत्री विजयन का जोर: ‘केरल’ नहीं, ‘केरलम’ हो राज्य का नाम

विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि मलयालम में राज्य का नाम ‘केरलम’ है और यह नाम यहां के लोगों की सांस्कृतिक पहचान का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार संविधान की आठवीं अनुसूची में सभी भाषाओं में राज्य का नाम ‘केरलम’ के रूप में बदलने के लिए कदम उठाए।

एकता की मिसाल: सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों का समर्थन

सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) दोनों ने इस प्रस्ताव को समर्थन दिया। हालांकि, यूडीएफ विधायक एन शम्सुद्दीन ने प्रस्ताव में कुछ संशोधनों का सुझाव दिया, जिन्हें सरकार ने अस्वीकार कर दिया। अंततः विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमशीर ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।

मलयालम में ‘केरलम’ को मान्यता दिलाने की ऐतिहासिक पहल

केरल का नाम ‘केरलम’ रखने की पहल कोई नई बात नहीं है। यह मांग आजादी की लड़ाई के समय से ही उठती रही है। विधानसभा ने इस बार फिर से इस मुद्दे को उठाते हुए केंद्र से अपील की है कि वह संविधान के अनुच्छेद-3 के तहत इसे ‘केरलम’ के रूप में संशोधित करने के लिए तत्काल कदम उठाए।

यह प्रस्ताव केरल की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्स्थापित करने और राज्य के इतिहास और भाषा को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब देखना यह है कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर क्या प्रतिक्रिया देती है।