सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्यप्रदेश में तीन बड़े प्रोजेक्ट को भारत में किए जा रहे सामाजिक आर्थिक क्षेत्र के बड़े नवाचारी प्रयासों में शामिल किया गया है। सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में देश का आर्थिक सर्वेक्षण- 2023 पेश किया। इसमें जब भारत में बड़े नवाचारों के रूप में बुंदेलखंड की नदी जोड़ो परियोजना केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट और मप्र और पूर्वी राजस्थान में प्रस्तावित पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना का विशेष रूप से उल्लेख किया।

संसद में सबसे स्वच्छ शहर की चर्चा…-सबसे ज्यादा चर्चा स्वच्छ भारत मिशन में देश के सबसे साफ शहर इंदौर में 500 टन प्रतिदिन उत्पादन क्षमता वाले बायोफ्यूल प्लांट की हुई। 2021 में इंदौर नगर निगम द्वारा स्थापित इस प्लांट को आर्थिक सर्वेक्षण में एक केस स्टडी के रूप में पेश किया गया है। इस प्लांट को आकल्पन-निर्माण-वित्त संचालन और हस्तांतरण के मॉडल पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर संचालित किया जा रहा है। जिससे रोजाना लगभग 45 हजार क्यूबिक मीटर बायो गैस का उत्पादन होता है।

करीब 17 हजार किलो बायो-सीएनजी रोजाना बनती है। यह प्लांट सालाना 1.30 लाख टन कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन को रोकने में मदद करता है। जबकि जैविक कचरा की प्रोसेसिंग क्षमता 400 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। जिससे प्रतिदिन 14.8 मीट्रिक टन बायो-सीएनजी और 80 मीट्रिक टन फरमेंटेड जैविक खाद भी बनती है।

केन-बेतवा से मप्र और उप्र दोनों को फायदा….आर्थिक सर्वेक्षण में केन- बेतवा लिंक परियोजना नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान के अंतर्गत पहली परियोजना है, जिसका अनुमोदन 2021 में किया गया था। जिसमें केंद्र सरकार ने 39 हजार 317 करोड़ रुपए का सहयोग मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश को किया है। परियोजना की कुल लागत 44 हजार 600 करोड़ रुपए है।

5 हजार करोड़ से अधिक राशि दोनों राज्य वहन कर रहे हैं। मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश को मिलाकर बनी केन-बेतवा लिंक परियोजना प्रदेश के चार जिलों बांदा, महोबा, झांसी व ललितपुर के लिए वरदान साबित होगी। केन बेतवा लिंक परियोजना में 90 प्रतिशत धनराशि केंद्र व 10 प्रतिशत राज्य को वहन करना है।

मप्र और राजस्थान के 13-13 जिलों को फायदा… पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से मध्य प्रदेश और राजस्थान के करीब 13-13 जिलों को सिंचाई और पीने के लिए पानी मिलेगा। इस परियोजना में कुल 72 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। मप्र सरकार 35 हजार करोड़ और राजस्थान सरकार 37 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस परियोजना से 6.17 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी।

यहां भी तेज रफ्तार

तेजी से बढ़ते राज्यों में मप्र भी शामिल

सर्वेक्षण में नीति आयोग के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के इंडेक्स 2023-24 का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि दस राज्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल हासिल करने में आगे रहे हैं,उनमें मध्यप्रदेश भी शामिल हैं। वर्ष 2018 से 2023-24 के बीच मप्र 15 अंकों के साथ सर्वाधिक तेजी से आगे बढ़ते राज्यों शामिल है।

सर्वेक्षण में किसान हितैषी नीति के फ्रेमवर्क का उल्लेख करते हुए मध्यप्रदेश की भावांतर भुगतान योजना की चर्चा की गई है। टीचिंग-लर्निंग और परिणाम को बेहतर बनाने में मध्यप्रदेश ने सभी छह मापदंड पूरे किए हैं। भावांतर भुगतान योजना के तहत सरकार किसानों को आधिकारिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और जिस दर पर वे अपनी फसल बेचते हैं, या मॉडल भावांतर भुगतान योजना के बीच के अंतर के लिए मुआवजा देती है।