सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत रेलवे की तकनीकी क्षमताओं का विकास लगातार हो रहा है। इसी संदर्भ में भोपाल से 13 सदस्यीय मीडिया दल ने आज आरडीएसओ (RDSO) लखनऊ का दौरा किया। यह दौरा पत्र सूचना कार्यालय लखनऊ और भोपाल की अगुवाई में आयोजित किया गया।
उदय बोरवणकर, महानिदेशक, आरडीएसओ ने मीडिया से बातचीत में बताया कि आरडीएसओ आईआईटी और इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ मिलकर नए डिज़ाइन और आविष्कार कर रहा है। उन्होंने कहा कि कवच टेक्नोलॉजी के माध्यम से असुरक्षित यात्रा को सुरक्षित बनाया जा रहा है और रेलवे दुर्घटनाओं में भी कमी आई है। उन्होंने बायो टॉयलेट के इंट्रोडक्शन पर भी प्रकाश डाला, जिसके कारण रेलवे पटरियों पर जंग लगना कम हुआ है, और अब सभी ट्रेनों में बायो टॉयलेट का उपयोग हो रहा है।
आरडीएसओ की प्रमुख उपलब्धियों में तेजस और वंदे भारत जैसी हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए विश्व-स्तरीय ब्रेकिंग सिस्टम का विकास शामिल है। यह जानकारी शमीम अहमद, ईडी एडमिन, आरडीएसओ ने दी। उन्होंने कहा कि इन ट्रेनों का ब्रेकिंग सिस्टम आधुनिकतम मानकों के अनुसार है, जो यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
आरडीएसओ की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में ‘कवच’ टेक्नोलॉजी भी शामिल है, जो ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) के तहत रेलवे दुर्घटनाओं को रोकने में सहायक है। मधुप श्रीवास्तव, डायरेक्टर, आरडीएसओ लखनऊ ने बताया कि कवच 4.0 के माध्यम से दो स्टेशनों के बीच कम्युनिकेशन को और बेहतर बनाने पर काम किया जा रहा है, और वर्तमान में इसका परीक्षण रेलवे ज़ोनल स्तर पर चल रहा है।
इस दौरे के दौरान मीडिया दल को एयर ब्रेक लैबोरेटरी, सिग्नल लैब, और आधुनिक स्वदेशी रेल सिग्नलिंग तकनीकों की जानकारी दी गई। निदेशक मधुप श्रीवास्तव ने कवच 4.0 की तकनीकी विशेषताओं पर प्रकाश डाला, जबकि शमीम अहमद ने तेजस और वंदे भारत ट्रेनों के ब्रेकिंग सिस्टम के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख अधिकारियों में रुपेश कोहली, कार्यकारी निदेशक परीक्षण, विजय प्रकाश, संयुक्त निदेशक परीक्षण लैब, नवीन शर्मा, निदेशक पब्लिकेशन, और डॉ. वीणा, कार्यकारी निदेशक आरडीएसओ लखनऊ शामिल थे। डॉ. वीणा ने बताया कि आरडीएसओ पायलट की इमोशनल स्टेबिलिटी और कार्यक्षमता की जांच के लिए साइकोएनालिटिकल टेस्टिंग पर भी काम कर रहा है।
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