आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : ‘मैं शुरुआत से ही अलग-अलग तरह के रोल करना चाहता था। करियर की पहली फिल्म से लेकर अभी तक, लगभग हर फिल्म में बिल्कुल ही अलग अंदाज में दिखा हूं। कुछ समय बाद यही हुनर मुझ पर भारी पड़ गया।
एक वक्त ऐसा आया कि हर नया ऑफर पुरानी फिल्म के रोल जैसा ही आने लगा। इस कारण उन ऑफर्स को रिजेक्ट ही करना पड़ता। नतीजतन, मेरे पास ऑफर्स की कमी हो गई। सेविंग्स भी इतनी अच्छी नहीं थीं कि जिससे लंबे समय तक गुजर बसर हो जाए। इसी दौरान मेरा एक्सीडेंट भी हो गया था।
सर्जरी के दौरान कई डायरेक्टर्स मेरे पास फिल्मों के लिए आए, लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया। फिर धीरे-धीरे मेरे पास कॉल्स और मेल आने कम होने लगे। मुझे लगने लगा, अगर में ऐसा ही करता रहा तो मुझे कोई काम नहीं देगा। हालात डिप्रेशन जैसे हो गए।
करियर के साथ इसका असर पर्सनल लाइफ पर भी पड़ा। उस वक्त मैं शादीशुदा था। इस कारण हम दोनों का रिश्ता भी इफेक्ट हुआ। 2014 से लेकर 2017 तक, इस दौरान कई रिश्ते मुझसे पीछे छूट गए। मगर, आज खुद की कामयाबी देखकर खुशी होती है।’
ये सारी बातें बॉलीवुड एक्टर गुलशन देवैया हमसे कह रहे हैं। आज की स्ट्रगल स्टोरी में कहानी इन्हीं की है। 2023 गुलशन के लिए खास रहा है। इस साल रिलीज हुई वेब सीरीज दहाड़ और गन्स एंड गुलाब से उन्हें बहुत पॉपुलैरिटी मिली है। उन्हें फिल्म दम मारो दम, रामलीला, कमांडो 3 और बधाई दो जैसी फिल्मों से भी जाना जाता है। हालांकि, यहां पहुंचने तक का सफर आसान नहीं रहा।
करीब दोपहर 2 बजे, हम जूम लिंक के जरिए मुखातिब हुए। थोड़ी औपचारिकता के बाद हमने बातचीत का सिलसिला शुरू किया।
पेरेंट्स की वजह से एक्टिंग से जुड़ना हुआ
बचपन के दिनों के बारे में गुलशन कहते हैं, ‘मैं मूल रूप से कर्नाटक से हूं, मेरी परवरिश बैंगलोर में हुई है। मम्मी (पुष्पलता) और पापा (श्री देवैया), दोनों भारत इलेक्ट्रॉनिक्स में काम करते थे। पूरा परिवार कंपनी की तरफ मिले क्वार्टर में रहता था।
एक्टिंग में रुझान पेरेंट्स की वजह से आया। दरअसल, मम्मी-पापा को गानों का बहुत शौक था। वे लोग ज्यादातर 60-70 दशक के गाने सुना करते थे। वे लोग अक्सर म्यूजिक प्रोग्राम और नाटक में भाग लिया करते थे। दोनों मुझे भी ऐसा करने के प्रोत्साहित करते रहते थे।
मेरी पढ़ाई कॉन्वेंट स्कूल से हुई है। पेरेंट्स की इस कला से स्कूल वाले वाकिफ थे। वे लोग भी मुझे स्कूल फंक्शन में प्लेज करने के लिए मोटिवेट करते थे। उनकी बात मान मैं भी स्कूल के एनुअल फंक्शन में संगीत और नाटक में पार्टिसिपेट करने लगा। डांस भी करता था, लेकिन इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। शायद इसी दौरान मैं फिल्मों से जुड़ता चला गया।’
जब गुलशन यह सारी बातें कह रहे थे, तो उनकी आंखों में एक अलग सी चमक थी। लग रहा था कि कहते-कहते वे उसी दौर को फिर जीने लगे हों। वे कहानी में आगे बढ़ ही रहे थे, तभी मैंने उन्हें रोक दिया और NIFT के बारे में सवाल किया।
12वीं में फेल भी हुआ, मेहनत कर आगे बढ़ा
वे कहते हैं, ‘मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं रहा हूं। एवरेज स्टूडेंट था। एक बार 12वीं में फेल हो गया था, दोबारा एग्जाम देकर पास हुआ। वक्त के साथ मैं फिल्मों के प्रति बहुत जुनूनी हो गया था, मगर कभी यह नहीं सोचा था कि एक्टिंग को ही प्रोफेशन बनाऊंगा। हालांकि, 1995 के बाद मैं फिल्मों और नाटक को बहुत ध्यान से देखने और समझने लगा था।
1997 में NIFT का एंट्रेंस एग्जाम दिया। किस्मत से इसमें सिलेक्शन हो गया। इस सफलता से मैं बहुत खुश था, क्योंकि आसानी से किसी का यहां एडमिशन नहीं होता। फिर 3 साल यहां पढ़ाई करने के बाद 2000 में पास आउट हो गया।’