सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल  : 13 से 20 साल तक, मैं जयपुर में रहा। यही वो जगह थी, जिसने मेरा परिचय फिल्मों और रंगमंच से कराया। फिल्मी पर्दे पर एक्टर्स की दुनिया लुभाने लगी। उनकी दुनिया इतनी खूबसूरत लगती थी कि मानो वे दूसरे ग्रह से आए हों। उन्हीं के नक्श-ए-कदम पर चलने के लिए मैंने जयपुर में ही ग्रेजुएशन और रवीन्द्र भवन रंगमंच से नाटक साथ-साथ किया। फिर NSD में गया और वहां से निकलकर मायानगरी मुंबई आना हुआ। जब मुंबई पहुंचा तो वहां की ठोकरों ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि मैं क्या कर रहा हूं। जहां काम मांगने जाता, सिर्फ ना ही सुनने को मिलता।

मुंबई के अंधेरी वेस्ट में स्थित अपने घर में बैठकर एक्टर अनूप सोनी हमें अपनी दास्तां सुना रहे हैं। अनूप 90 के दशक में हीरो बनने का सपना लेकर मुंबई आए थे, लेकिन उनका यह सपना यहां आते ही टूट गया। हालांकि, इसको उन्होंने अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया।

हमने उनसे पहला सवाल किया- मुंबई में संघर्ष की परिभाषा आपके लिए क्या रही? उन्होंने झट से जवाब दिया- मैं आज भी कहता हूं कि जो भी मुंबई आकर एक्टर बनने का ख्वाब देखते हैं, उनका शरीर और विचारधारा दोनों स्टील की बनी होनी चाहिए। कितनी भी ठोकरें मिलें, घबराना नहीं है।

मैं 90 के दशक के अंत में मुंबई आया था, तब मेरी उम्र 25 साल थी। उस वक्त इंडस्ट्री में हीरो की एक अलग परिभाषा बन गई थी। सिर्फ सुंदर चेहरे वालों को ही हीरो के रोल के लिए चुना जाता था। सलमान खान और संजय दत्त की कद-काठी को देख बॉडी बिल्डिंग का भी क्रेज शुरू हो गया था। यह सब देख लगा कि इसमें तो मैं फिट ही नहीं हो पाऊंगा।

इसके बावजूद मुंबई आते ही मैंने खुद को छोटे रोल की तलाश में लगा दिया। रोज प्रोड्यूसर-डायरेक्टर्स के दफ्तर में काम की तलाश में निकल जाता। पास में काम का रिज्यूम और तस्वीरें होती थीं। जहां भी जाता, लोग कहते- तस्वीर के पीछे फोन नंबर छोड़ जाओ, जल्द ही काम के लिए कॉल किया जाएगा। ऐसा करके चला आता।

उस वक्त मार्केट में मोबाइल आया ही था, लेकिन उसे अफोर्ड करने की हैसियत नहीं थी। किराए के घर पर जहां रहता था, वहां पर एक PCO था, उसी PCO वाले का नंबर मैं जगह-जगह देता था। इसके बदले PCO वाला एक कॉल का 2 रुपए लेता था। दिन भर उसी PCO पर टकटकी लगाए रहता था कि अब कॉल आएगा-अब कॉल आएगा, लेकिन हफ्ते दर हफ्ते बीत जाते थे पर किसी का कॉल नहीं आता था।