पेशावर । पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यक लगातार अत्याचार के शिकार हो रहे हैं वहां की न्यायपालिका भी दोहरामापदंड अपना रही है। यहां की एक शीर्ष अदालत ने पिछले महीने पेशावर छावनी के एक व्यस्त इलाके से एक हिंदू लड़की के अपहरण के आरोपी व्यक्ति को पुख्ता सबूतों के अभाव में शुक्रवार को जमानत दे दी।

आरोपी ओबैदुर रहमान ने यहां की निचली दीवानी अदालत द्वारा उसकी जमानत अर्जी खारिज किए जाने के बाद पेशावर उच्च न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने पुख्ता सबूतों के अभाव में उसे जमानत दे दी।  लड़की की मां ने पिछले साल दिसंबर की शुरुआत में शिकायत दर्ज कराई थी।

पुलिस प्राथमिकी दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर 20 साल की लड़की को छुड़ाने में सफल रही थी। एक अधिकारी ने कहा कि उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद आरोपी को जेल से रिहा कर दिया जाएगा। रहमान पर पेशावर छावनी के व्यस्त आर ए बाजार इलाके से लड़की को अगवा करने का आरोप था।

मीडिया खबरों की मानें तो हिंदू लड़कियों के अपहरण की खबरें लगातार सुर्खियों में रहती है, लेकिन इसके आरोपियों को कोई सजा नहीं मिल पाती है। पाकिस्तान हिंदू परिषद का कहना है कि सबूत के अभाव की आड़ लेकर कोर्ट भी उन्‍हें तुरंत जमानत दे देती है। जब पुलिस किसी लड़की के अपहरण की शिकायत दर्ज करती है और उसे बरामद भी कराती है, तो वह इसके सबूत क्‍यों नहीं दे पाती, यह बड़ा सवाल है।

पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का नियमित रूप से अपहरण किया जाता है। वे क्रूरता का शिकार होती है, लेकिन उन्‍हें सही न्‍याय नहीं मिलता।  पाकिस्तान में 44 लाख हिंदू हैं। 2017 की पाकिस्तान जनगणना के अनुसार, कुल जनसंख्या का 2.14 प्रतिशत शामिल है। हालांकि, पाकिस्तान हिंदू परिषद का दावा है कि देश में करीब 80 लाख हिंदू हैं। पाकिस्तान के अधिकांश हिंदू सिंध प्रांत में बसे हैं, जहां वे मुस्लिम निवासियों के साथ संस्कृति, परंपराओं और भाषा को साझा करते हैं।