सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: जापान के पूर्व कृषि मंत्री ताकु ईटो को चावल की बढ़ी कीमत पर मजाकिया बयान देना काफी महंगा पड़ गया। यहां तक कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया। उन्होंने कहा था कि वो कभी चावल नहीं खरीदते हैं, बल्कि उन्हें मुफ्त में मिलता है। इस बयान के बाद महंगाई से जूझ रही जनता का गुस्सा भड़क गया।

ईटो ने बुधवार को प्रधानमंत्री ऑफिस जाकर अपना इस्तीफा सौंपा। इस इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा पर भी महंगाई कम करने का दबाव और ज्यादा बढ़ गया।

उनकी सरकार को चावल की लगातार बढ़ती कीमतों को कंट्रोल न कर पाने की वजह से लोगों का गुस्सा झेलना पड़ रहा है। जापान में जुलाई महीने में संसद के ऊपरी सदन का चुनाव होने वाला है, ऐसे में यह मुद्दा और ज्यादा राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है।

दो साल में दोगुना महंगा हुआ चावल

जापान का सबसे मशहूर कोशिहिकारी ब्रांड का चावल लगभग 5,000 येन (3000 रुपए) प्रति 5 किलोग्राम में बिक रहा है। जबकि 2023 में 5 किलोग्राम चावल की कीमत औसतन लगभग 2,000 येन (1100 रुपए) थी।

प्रधानमंत्री इशीबा ने वादा किया है कि चावल की औसत कीमत को 3,000 येन (1700 रुपए) प्रति 5 किलोग्राम तक लाया जाएगा।

जापान में कोशिहिकारी ब्रांड का चावल काफी पसंद किया जाता है। इसे जापान ग्रेन इंस्पेक्शन एसोसिएशन ने स्पेशल ए ग्रेड दिया है।
जापान में कोशिहिकारी ब्रांड का चावल काफी पसंद किया जाता है। इसे जापान ग्रेन इंस्पेक्शन एसोसिएशन ने स्पेशल ए ग्रेड दिया है।

2023 में शुरू हुआ चावल का संकट

जापान में चावल की कमी के लिए कई वजह जिम्मेदार मानी जा रही हैं। 2023 में गर्म मौसम की वजह से कम फसल और 2024 में ‘मेगाक्वेक’ (बड़े भूकंप) की चेतावनी की वजह से लोगों ने डर में ज्यादा चावल खरीद लिए थे। इससे कालाबाजारी भी हुई।

सरकार ने कई सालों तक किसानों को चावल की खेती छोड़कर दूसरी फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि कीमतें नियंत्रित रहें। लेकिन अब जब मांग बढ़ी, तो उत्पादन पर्याप्त नहीं है। कुछ व्यापारियों पर जानबूझकर चावल का स्टॉक छिपाकर रखने का आरोप भी लगा है ताकि कीमतें और ऊपर जाएं।

सरकार ने आपातकालीन भंडार से चावल जारी किया है, लेकिन अब तक सिर्फ 10% चावल ही बाजार तक पहुंच पाया है।

पर्यावरण मंत्री को बनाया नया कृषि मंत्री

ताकु ईटो ने पिछले हफ्ते एक फंड रेज प्रोग्राम में कहा था- मैंने खुद कभी चावल नहीं खरीदा, क्योंकि मेरे समर्थक मुझे इतना चावल दान करते हैं कि मैं इसे बेच सकता हूं।

ईटो के इस बयान से लोग भड़क गए, क्योंकि उन्हें एक साल पहले के मुकाबले में चावल की एक बोरी के लिए लगभग दोगुनी कीमत चुकानी पड़ रही है।

बुधवार को ही ईटो की जगह शिंजिरो कोइजुमी को कृषि मंत्री बनाया गया, जो पहले पर्यावरण मंत्री थे। कोइजुमी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) की लीडरशिप के लिए प्रधानमंत्री इशिबा के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि उन्हें इसमें नाकामी मिली थी।

जापान में ताकु ईटो की जगह शिंजिरो कोइजुमी को कृषि मंत्री बनाया गया। इससे पहले वो पर्यावरण मंत्री रह चुके हैं।
जापान में ताकु ईटो की जगह शिंजिरो कोइजुमी को कृषि मंत्री बनाया गया। इससे पहले वो पर्यावरण मंत्री रह चुके हैं।

प्रधानमंत्री भी मांग चुके थे बयान पर माफी

जापान की क्योडो न्यूज एजेंसी के मुताबिक, ताकु ईटो ने कहा- मैंने खुद से पूछा कि क्या चावल की लगातार बढ़ती कीमतों के बाद भी मेरे लिए कृषि मंत्री बने रहना ठीक है। उसके बाद मैंने तय किया कि नहीं, यह ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा- मैं एक बार फिर लोगों से माफी मांगता हूं कि जब लोग चावल की बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं, तब मैंने मंत्री के तौर पर बहुत ही गलत बयान दिया। मैं कुछ ज्यादा ही आगे निकल गया था।

प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने भी अपने मंत्री के बयान के लिए माफी मांगी थी।

जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने कृषि मंत्री के बयान पर माफी मांगी थी।
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने कृषि मंत्री के बयान पर माफी मांगी थी।

पहले भी बयान के चलते कई नेताओं को इस्तीफा देना पड़ा है 1. सेइको नोडा- 1999- डाक मंत्री सेइको नोडा ने पोर्नोग्राफिक मैगजीन पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। उनका कहना था कि इससे किशोरों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। लेकिन तब इसे प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला माना गया। विवाद इतना बढ़ गया कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

2. मिदोरी मात्सुशिमा- 2014- कानून मंत्री

चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने जापानी पंखे बांटे थे। इन पर उनका नाम छपा था।

जापान के चुनावी कानूनों के तहत ऐसे प्रचार आइटम देना “गिफ्ट” के रूप में माना जाता है, जो अवैध है।

इस विवाद के चलते मिदोरी मात्सुशिमा को इस्तीफा देना पड़ा।

जापान ने 25 सालों में पहली बार चावल इंपोर्ट किया

जापान में चावल की कीमत हमेशा एक बड़ा राजनीति मुद्दा रहा है। 1918 में चावल की कीमतों को लेकर हुए दंगों की वजह से एक सरकार गिर गई थी।

वर्तमान सरकार ने चावल की कीमतें पर कंट्रोल के लिए कई कोशिशें की, लेकिन वे कारगर नहीं रही। अब विपक्ष और आम लोग कंजंप्शन टैक्स में कटौती की मांग कर रहे हैं, ताकि महंगाई का बोझ कुछ कम हो सके।

चावल संकट के चलते कई जापानी रेस्तरां और आम लोग अब दूसरे देशों से सस्ता चावल बुलाने पर जोर दे रहे हैं। अप्रैल में जापान ने 25 सालों में पहली बार दक्षिण कोरिया से चावल इंपोर्ट किया था।

सरकार की लोकप्रियता में गिरावट आई

बढ़ती महंगाई की वजह से इशिबा सरकार की लोकप्रियता में भी गिरावट आई है। क्योडो के हालिया सर्वे में, 87% लोगों ने सरकार पर चावल की कीमतों को संभालने में नाकाम रहने का आरोप लगाया था। इशिबा सरकार की अप्रूवल रेटिंग 27.4% रह गई है, जो पिछले साल अक्टूबर में सत्ता संभालने के बाद सबसे कम है।

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