प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में आयोजित पोस्ट-बजट वेबिनार में व्यापारिक सुधारों को लेकर एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई। उन्होंने बताया कि सरकार अब तक 40,000 से अधिक अनुपालनों (compliances) को समाप्त कर चुकी है, जिससे व्यापारिक प्रक्रियाएं सरल हुई हैं। इसके अलावा, जन विश्वास बिल 2.0 पर काम जारी है, जो व्यवसायों को और अधिक स्वतंत्रता और लचीलापन प्रदान करेगा।
सरलता की ओर बड़ा कदम
भारत में व्यापार शुरू करने और संचालित करने के लिए कानूनी अनुपालनों का बोझ एक बड़ी चुनौती रही है। कई छोटे और मध्यम उद्यम (MSME) पेचीदा नियमों और अनुमतियों के कारण परेशान होते रहे हैं। सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) में सुधार लाने के लिए नियमों को हटाने और प्रक्रियाओं को सरल करने की नीति अपनाई है।
जन विश्वास बिल 2.0 का उद्देश्य है:
✔️ अनावश्यक कानूनी औपचारिकताओं को कम करना
✔️ लाइसेंसिंग और परमिट प्रक्रियाओं को आसान बनाना
✔️ डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना, जिससे दस्तावेज़ी कार्यवाही में तेजी आए
✔️ उद्योगों के लिए एक अधिक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी वातावरण तैयार करना
आर्थिक वृद्धि के लिए नई संभावनाएं
भारत में आर्थिक सुधारों का यह कदम केवल व्यापारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रोजगार सृजन, विदेशी निवेश (FDI) और स्टार्टअप्स को भी गति देगा। अनुपालनों की संख्या कम करने से उद्यमशीलता (entrepreneurship) को बढ़ावा मिलेगा और कारोबारियों का समय और संसाधन बचेगा।
क्या कहता है उद्योग जगत?
व्यापार संगठनों और उद्योग जगत के विशेषज्ञ इस कदम को सकारात्मक मान रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार का यह सुधार न केवल भारतीय उद्यमियों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि वैश्विक निवेशकों को भी आकर्षित करेगा।
निष्कर्ष
जन विश्वास बिल 2.0 और अनुपालनों में कटौती व्यापार-अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। भारत के आर्थिक सशक्तिकरण और औद्योगिक विकास को तेज करने के लिए यह सुधार आवश्यक थे। सरकार की यह नीति नई आर्थिक संभावनाओं के द्वार खोलेगी और भारत को एक मजबूत वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में स्थापित करेगी।

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