सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: जम्मू-कश्मीर यूनियन टेरिटरी के 5वें स्थापना दिवस पर गुरुवार को आयोजित सरकारी कार्यक्रम का नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस के विधायकों ने बहिष्कार किया। इन दोनों पार्टियों ने जम्मू-कश्मीर को यूनियन टेरिटरी मानने से इनकार करते हुए इसे जल्द से जल्द राज्य का दर्जा देने की मांग की है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दोनों पार्टियों के इस कदम को ‘दोहरा चरित्र’ बताया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस और NC के नेताओं ने संविधान की शपथ ली है, फिर वे आधिकारिक कार्यक्रम का बहिष्कार कैसे कर सकते हैं? यह इनका दोहरा चरित्र दर्शाता है।”
गौरतलब है कि 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था। इसके बाद सरकार ने भरोसा दिया था कि हालात सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।
नेताओं के बयान
- उमर अब्दुल्ला (मुख्यमंत्री): “जम्मू-कश्मीर लंबे समय तक केंद्र शासित प्रदेश नहीं रहेगा। हम अपना राज्य का दर्जा वापस लेंगे।”
- महबूबा मुफ्ती (पूर्व मुख्यमंत्री): “यह स्थापना दिवस नहीं, बल्कि काला दिवस है। यह अधिकारों से दूर रखने की निशानी है।”
- तारीक कर्रा (कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष): “कांग्रेस ने कभी भी जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश मान्यता नहीं दी। हम राज्य के दर्जे के लिए संघर्ष करते रहेंगे।”
स्टेटहुड की कानूनी प्रक्रिया
उमर अब्दुल्ला सरकार ने 17 अक्टूबर को अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव पास किया था। इस प्रस्ताव को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंजूरी देने के बाद गृह मंत्रालय को भेज दिया है।
कानूनी प्रक्रिया: जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत, पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए संसद में एक नया कानून पारित करना आवश्यक है।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर के गठन के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं दर्शाती हैं कि स्थानीय दल राज्य के दर्जे के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मांग पर क्या कदम उठाएगी और स्थानीय दलों के साथ संवाद कैसे स्थापित करेगी।