सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाजपा गैर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले 25-40 आयु वर्ग के युवाओं को प्रत्याशी बनाएगी। पार्टी संभावित उम्मीदवारों के चयन को लेकर विधानसभा के हिसाब से प्रभारी नियुक्त करने पर विचार कर रही है।
विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के एक अनुभवी नेता को प्रत्याशियों का पैनल तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इनका काम यह होगा कि वह संबंधित विधानसभा से दो-तीन ऐसे युवा उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार करें, जिनकी सियासी विरासत नहीं हो।
खेलकूद, कला-संस्कृति, सामाजिक कार्य में शामिल लोगों पर पार्टी की निगाह होगी। घाटी में ऐसे लोगों की सूची पार्टी ने तैयार की है, जिन्हें न सिर्फ केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिला है, बल्कि उन्होंने दूसरे लोगों को भी इन योजनाओं से जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है।
दिल्ली में आज चुनाव तैयारियों और रणनीति पर चर्चा
चुनाव आयोग ने शुक्रवार (16 अगस्त) को जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित कर दी। इसके तुरंत बाद पार्टी ने सभी राज्यों के महासचिवों और प्रदेश अध्यक्षों की दिल्ली में शनिवार (17 अगस्त) को बैठक बुलाई है।
बैठक में इन दोनों ही राज्यों के चुनाव तैयारियों और रणनीति को लेकर चर्चा होगी। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में पार्टी जीत के इरादे से चुनाव मैदान में उतरेगी। सिर्फ जम्मू क्षेत्र में नहीं बल्कि घाटी में भी पार्टी पूरी ताकत लगाएगी।
भाजपा महासचिव तरुण चुग का कहना है कि घाटी में ऐसे युवाओं की बड़ी तादाद है जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में मजबूत यकीन रखते हैं।
सूत्रों का कहना है कि चूंकि इस बार घाटी की दोनों प्रमुख दल एनसी और पीडीपी चुनाव को लेकर मुखर नहीं हैं। ऐसे में इस बात की संभावना अधिक है कि ज्यादा से ज्यादा ऐसे लोग चुनाव में उतरेंगे जो, घाटी की पुरानी सियासत को बदल कर विकास के रास्ते पर चलना चाहते हैं।
जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ। 2014 से 2024 के बीच यहां बहुत कुछ बदल चुका है। 20 दिसंबर 2018 से यहां राष्ट्रपति शासन लागू है। 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।
2014 के विधानसभा चुनाव में 87 सीटें थीं, जिनमें से चार लद्दाख की भी थीं। अब लद्दाख की सीटें हटाकर 90 हो गई हैं, क्योंकि लद्दाख अलग केंद्र शासित क्षेत्र है। इन 90 में से 43 जम्मू संभाग में और 47 कश्मीर संभाग में हैं।
इनमें 7 सीटें एससी और 9 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। परिसीमन के बाद जो 7 नई विधानसभा सीटें बढ़ी हैं, उनमें से 6 जम्मू और 1 कश्मीर में है। 5 सदस्य राज्यपाल मनोनीत कर सकते हैं, ये भी निर्णायक।
राज्यपाल को भी विधानसभा में 5 सदस्य मनोनीत करने का अधिकार है। ऐसे में कुल सीटें 95 हो जाती हैं और बहुमत का आंकड़ा 48 तक पहुंच जाता है, इसलिए त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में ये पांच सदस्य नई सरकार बनाने में निर्णायक साबित हो सकते हैं।