सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने शुरुआती ब्रह्माण्ड में एक अजीब ‘इनसाइड-आउट’ गैलेक्सी का पता लगाया है. JADES-GS+53.18343−27.79097 नामक यह आकाशगंगा बिग बैंग के सिर्फ 700 मिलियन साल बाद देखी गई. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह आकाशगंगा हमारी Milky Way से लगभग 100 गुना छोटी है. अधिकांश आकाशगंगाओं से उलट, इसका विकास बाहर से अंदर की ओर हुआ है. मतलब तारे इसके घने केंद्र के मुकाबले इसके बाहरी भाग में अधिक तेजी से बनते हैं |
सच साबित हुईं तमाम भविष्यवाणियां
सैद्धांतिक मॉडल यह भविष्यवाणी करते रहे हैं कि ऐसी ‘इनसाइड-आउट’ आकाशगंगाएं प्रारंभिक ब्रह्माण्ड में आम होनी चाहिए. लेकिन वैज्ञानिकों के पास धूल और गैस में झांकने की क्षमता नहीं थी, जिस वजह से अब तक इनका पता नहीं लग सका था. अब JWST की मदद से रिसर्चर्स ने उन भविष्यवाणियों के सच होने की पुष्टि कर दी है |
स्टडी के को-ऑथर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएट स्टूडेंट, विलियम बेकर ने कहा, ‘हम एस्ट्रोनॉमर्स के लिए JWST इतना क्रांतिकारी क्यों है, इसके अनेक कारणों में से एक यह है कि अब हम उन बातों को ऑब्जर्व करने में सक्षम हैं, जिनकी मॉडलिंग के माध्यम से पहले भविष्यवाणी की गई थी|
कैसे होता है आकाशगंगाओं का विकास?
स्थानीय ब्रह्माण्ड में आकाशगंगाएं दो तरह से विकसित होती हैं: नए तारे बनाने के लिए पर्याप्त गैस को ग्रहण करके, या छोटी आकाशगंगाओं के साथ विलय करके. लेकिन क्या यही दो तरीके हैं या ब्रह्माण्ड के शुरुआती दौर में अन्य तरीके भी मौजूद हो सकते हैं, यह अभी भी साफ नहीं है |
शुरुआती ब्रह्मांड में क्वासर बहुत अकेले थे! जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की खोज क्यों कर रही हैरान?
बाहर बनते हैं तारे, फिर केंद्र में चले जाते है
JWST की मदद से, रिसर्चर्स ने ब्रह्माण्ड में दूर तक झांककर देखा. उन्होंने पाया कि इस आकाशगंगा का केंद्र बहुत घना है, और यह गैस और धूल की एक डिस्क से घिरा हुआ है, जिसके तारे तेजी से बन रहे हैं. इस वजह से आकाशगंगा का आकार हर 10 मिलियन साल में दोगुना हो जाता है, जबकि मिल्की वे का आकार 10 बिलियन साल में दोगुना होता है. ने कहा कि एक बार जब ये तारे आकार ले लेते हैं, तो वे धीरे-धीरे केंद्र की ओर चले जाते हैं और आकाशगंगा को तेजी से घुमाते हैं |
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