सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में “विश्व पर्यावरण दिवस” के अवसर पर एक बहुत ही उत्साह वर्धक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का विषय था “भूमि सुधार, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता” कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया। इस उपलक्ष्य में मुख्य वक्ता के रूप में सेवानिवृत रमेश श्रीवास्तव, प्रमुख वन विभाग अधिकारी, म.प्र. शासन उपस्थित थे। साथ ही मुख्य अतिथि के रूप में श्री ईशान लखीना एवं श्रीमती तृप्ति शुक्ला, संस्थापक, हैप्पी प्लांट प्रोजेक्ट, भोपाल भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति संजय तिवारी द्वारा की गई एवं कार्यक्रम में संयोजक के रूप में सुशील मंडेरिया उपस्थित रहे। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए एक संकल्प लिया गया साथ ही एक गतिविधि “सीड बॉल” का भी आयोजन किया गया, जिसमें सभी अतिथियों एवं विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इसमें बीजों को मिट्टी की बॉल बना कर दबाया गया। मानसून आने पर यही बॉल्स को जमीन में बीजारोपण किया जवेगा।
कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन करते हुए आंतरिक गुणवत्ता एवं आश्वासन विभाग की निदेशक अनिता कौशल ने उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्व पर्यावरण दिवस पर अपने विचार किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सेवानिवृत्त प्रमुख वन संरक्षक, मध्य प्रदेश सरकार, रमेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि, हमें पर्यावरण संरक्षण हेतु अपने संसाधनों का उचित उपयोग करना होगा। ओजोन परत का क्षरण हो रहा था, लेकिन विश्व में हो रहे अथक प्रयासों से इसमें सुधार लाया जा रहा है। कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथि ईशान लखीना ने कहा कि, पौधा लगाने की अपेक्षा, यदि हम वर्तमान में लगे पौधों को बचा ले तो भी यह बड़ी बात होगी। प्रतिवर्ष मध्य प्रदेश में दो करोड़ पौधे काटे जाते हैं और लगभग 2 लाख लगाये जा जाते हैं, जो की पर्याप्त नहीं है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति संजय तिवारी ने कहा कि, पिछले 15 दिनों में हमने अपने आसपास के बढ़े हुए तापमान के कारण यह एहसास कर लिया है कि, जलवायु परिवर्तन क्या होता है? विभिन्न प्रकार के पशु, पक्षी मर रहे हैं। लेकिन उनकी मृत्यु में इनका कोई दोष नहीं है। उनकी मृत्यु का दोषी तो मनुष्य है। क्योंकि जलवायु परिवर्तन का कारण वन्य जीव नहीं, बल्कि मानव है। डॉ. तिवारी ने कहा कि, आज ग्लोबल वार्मिंग की जगह ग्लोबल बोइलिंग शुरू हो चुकी है। विश्व में आज प्रतिवर्ष 38 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड प्रतिवर्ष उत्सर्जित होता है। औद्योगीकरण के कारण कार्बन उत्सर्जन तेजी से बढ़ रहा है। पृथ्वी का तापमान साल दर साल बढ़ता जा रहा है। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुशील मंडेरिया ने कहा कि, 1973 से विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर चिंता प्रकट की कि, भारत के राजस्थान में मरुस्थलीकरण तेजी से बढ़ रहा है। यहां तक की यह प्रक्रिया राजस्थान से होते हुए मध्य प्रदेश के कुछ भागों तक भी आ चुकी है। उन्होंने कहा कि, सूखे की वजह से पृथ्वी की ऊपरी सतह में मरुस्थलीकरण हो रहा है। अति वर्षा, अति सूखा, जलवायु परिवर्तन के ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि, पौधारोपण करते समय हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि हम वही पौधा लगाएं जो वहां का स्थानीय पौधा हो जो वहां की जलवायु में फल फूल सकता हो। इस अवसर पर मंच संचालन विश्वविद्यालय की वरिष्ठ सलाहकार साधना सिंह बिसेन द्वारा किया गया। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे ।