सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित ‘नवकार महामंत्र दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जैन धर्म, साहित्य और दर्शन को भारत की बौद्धिक और आध्यात्मिक विरासत की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि जैन साहित्य सदियों से ज्ञान, सत्य और करुणा का स्रोत रहा है, और इसे संरक्षित करना राष्ट्र की जिम्मेदारी है।
प्रधानमंत्री ने प्राकृत और पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के निर्णय का जिक्र करते हुए कहा कि इससे जैन ग्रंथों पर शोध को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने ज्ञान भारतम मिशन के तहत पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण और संरक्षण की योजना साझा की, जिससे प्राचीन ज्ञान को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा सके।
अपने भाषण में मोदी ने जैन धर्म के अनेकांतवाद सिद्धांत को युद्ध, आतंकवाद और पर्यावरणीय संकटों का समाधान बताया। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन “परस्परोपग्रहो जीवनम्” पर आधारित है, जो वैश्विक सहयोग और करुणा को बढ़ावा देता है।
कार्यक्रम में सामूहिक नवकार मंत्र के जाप के बाद प्रधानमंत्री ने नौ संकल्प लेने का आग्रह किया, जिनमें जल संरक्षण, स्वच्छता, मां के नाम पर वृक्षारोपण, वोकल फॉर लोकल, भारत भ्रमण, प्राकृतिक खेती, स्वस्थ जीवनशैली, योग और खेल तथा भारतीय परंपराओं को अपनाना शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये संकल्प न केवल जैन मूल्यों से मेल खाते हैं, बल्कि एक सतत और सशक्त भारत की दिशा में भी मार्ग प्रशस्त करते हैं। यह कार्यक्रम भारत के बौद्धिक उत्थान, सांस्कृतिक समरसता और पर्यावरणीय संतुलन के प्रति देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
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