आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : पोर्नोग्राफी केस में आरोपी और शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा अपने जीवन पर ‘फिल्म UT-69’ ला रहे हैं। फिल्म केस के शुरू होने से जमानत पर रिहा होते तक की कहानी पर बनी है। फिल्म में राज ने खुद अपना किरदार निभाया है। कुंद्रा ने फिल्म में जेल जाने के बाद के अनुभव, पत्नी शिल्पा शेट्टी और बच्चों पर असर को दिखाने की कोशिश की है।
कुंद्रा ने दैनिक भास्कर को बताया कि जेल में बिताए 63 दिन उनकी लाइफ के सबसे खराब दिन थे। शुरुआती दिनों में सुसाइड के ख्याल आते थे। वहीं, जेल का खाना खाने से उन्हें डायरिया हो जाता था। पानी इतना गंदा था कि गैस की समस्या हो जाती थी।
63 दिन कस्टडी में रहे थे राज कुंद्रा
राज को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पोर्न फिल्में बनाने के आरोप में जुलाई, 2021 को गिरफ्तार किया था। इस केस में राज का नाम तब सामने आया था, जब कुछ मॉडल और स्ट्रगलिंग एक्ट्रेसेस ने उन पर जबरन अश्लील फिल्में बनाने का आरोप लगाया था।
जांच करते हुए पुलिस ने राज के ठिकानों पर छापा मारने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इस केस में उन्हें 2 महीने तक आर्थर रोड जेल में रहना पड़ा था। सितंबर 2021 में मुंबई की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी।
अब पढ़िए इस केस का उनके परिवार पर क्या असर पड़ा, फिल्म क्यों बनाई और उनके अनुभवों के बारे में
राज ने कहा, ‘जब मेरा नाम इस केस में आया तो शिल्पा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। उनके पास गिने-चुने ब्रांड्स थे। वो भी हाथ से निकल गए। शिल्पा और बच्चों को भी बुरा-भला बोला गया। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि इसमें उनकी क्या गलती थी। मीडिया में गलत तरीके से उनका नाम उछाला गया। उन्हें बेवजह टारगेट किया गया।
शिल्पा की एक अलग पहचान है। उन्हें इस मामले में खींचने की कोई जरूरत नहीं थी। मीडिया के एक समूह ने भी मेरे साथ सही नहीं किया। मेरा मीडिया ट्रायल किया गया। ‘शिल्पा का पति’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया। इससे कहीं न कहीं शिल्पा को काफी ठेस पहुंची थी।
जेल के शुरुआती 10 दिनों में सुसाइड के ख्याल भी आए
राज कुंद्रा ने कहा, ‘जेल के शुरुआती 10 दिन बेहद मुश्किल भरे रहे। सुसाइड के ख्याल आए। मैं अंदर से बिल्कुल टूट चुका था। सोचता था कि आखिर मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है। मेरा कोई सोशल सर्कल नहीं है। मेरे दोस्त भी लिमिटेड हैं, मेरे जीवन में बीवी बच्चों और माता-पिता के अलावा बाकी कोई नहीं है। जब मैं जेल से बाहर निकला तो पापा मुझे देख कर रोने लगे। मैं भी अपने बच्चों से लिपटकर रोने लगा।’
‘मुझे समझ में नहीं आया कि मेरे साथ हुआ क्या। ऐसा लगा जैसे पिछले जन्म में कुछ पाप किया है। बस उसकी सजा मिल रही है। मैं पहले नास्तिक हुआ करता था। जेल में रहने के बाद भगवान के प्रति श्रद्धा बढ़ गई। अब 9 दिन का व्रत रखता हूं।
‘पानी वाली दाल मिलती थी, 4500 रुपए में पूरे महीने का काम चलाना पड़ता थी
जेल में रहने के दौरान किन-किन दिक्कतों का सामना करना। जवाब में राज ने कहा- ‘खाने-पीने की सारी दिक्कतें थीं। पानी वाली दाल मिलती थी। खाने के बाद डायरिया हो जाता था। वहां का पानी ऐसा था कि पीने के बाद गैस की समस्या हो जाती थी।’
‘मैं मिनरल वाटर खरीद कर पीता था। हर कैदी को 4500 रुपए मिलते थे। उसी में पूरे महीने का काम चलाना पड़ता था। महीने में दो बार कैंटीन जाने का मौका मिलता था। मैं एक बार में खाने-पीने का सामान खरीद लेता था। खाना बिल्कुल स्वादहीन होता था। मैं मसाले वगैरह खरीद लेता था, खाने में मिलाकर खाता था।’
कैदी छोटे से रूम में बीड़ी पीते थे, आग लग सकती थी
राज ने बताया, ‘जेल में लोग बीड़ी पीते थे, इससे काफी समस्याएं होती थीं। मैंने जेल के ऑफिसर से बीड़ी पीने को लेकर नियम बनाने की बात की थी। जेल में लोगों को बीड़ी पीने की आजादी मिलती है। हालांकि, मुझे इससे दिक्कत होती थी। लोग बीड़ी पीते थे और वहीं फेंक देते थे। एक ही रूम में काफी ज्यादा लोग रहते थे। अगर वो बीड़ी किसी चादर वगैरह पर गिरती तो आग लग सकती थी। इससे एक बार में कई लोग अपनी जान गंवा देते। इसके बाद वहां एक स्मोकिंग एरिया बनाया गया, जहां कोई भी कैदी आराम से जाकर धूम्रपान कर सकता है।’
जेल में खुद को बिजी रखने के लिए राज कुंद्रा क्या करते थे। इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘दिन भर में एक टाइम स्लॉट मिलता था, उसमें हम टीवी देख सकते थे। हफ्ते में एक बार कैरम खेल सकते थे। लूडो खेलने का भी विकल्प था।’