भोपाल । जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. टीएन दुबे ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल मंगूभाई छगनभाई पटेल को अपना इस्तीफा भेज दिया है। दुबे ने इसके पीछे व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है। हालांकि, इसके पीछे मुख्य वजह चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से नाराजगी और चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत बरवड़े के दुव्र्यवहार को बताया जा रहा है।
इस्तीफे पर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. टीएन दुबे के ने कहा, मेरा पहला धर्म मरीजों की सेवा करना है, लेकिन पिछले डेढ़ साल से मैं मरीजों को वक्त नहीं दे पा रहा हूं। मेरा परिवार भोपाल में रहता है। व्यस्तता के चलते मैं उन्हें भी समय नहीं दे पा रहा था। पिछले चार दिनों से इस्तीफा देने को लेकर मानसिक द्वंद्ध चल रहा था। 10 अगस्त को ही मैं इस्तीफा देने राजभवन निकला था, लेकिन आखिरी समय में गेट से लौट आया था। उसी दिन का लिखा हुआ इस्तीफा अब दिया है।Ó
ढाई महीने से यूनिवर्सिटी में चल रहा बवाल
मेडिकल यूनिवर्सिटी में पिछले ढाई महीने से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पहले परीक्षा परिणामों को लेकर धांधली की बात सामने आई। परीक्षा कराने वाली माइंड लॉजिस्टिक इंफ्राटेक कंपनी, एग्जाम कंट्रोलर और एक लिपिक के बीच पर्सनल आईडी पर छात्रों के फेल-पास के नंबर भेजे जाने का मामले सामने आया था। इसके बाद इस कंपनी को टर्मिनेट कर दिया गया। एग्जाम कंट्रोलर समेत कई लोगों की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर दी गई। बावजूद वे सभी स्टे पर वापस आ चुके हैं। पिछले कुछ दिनों से यूनिवर्सिटी की परीक्षा की डेट घोषित होने की बावजूद टाल रही हैं। इसे लेकर छात्र लगातार घेराव व प्रदर्शन कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी की व्यवस्था अराजक हो चुकी थी। कुलपति पर आरोप लगते रहे हैं कि वे ज्यादातर समय भोपाल में देते हैं। जबलपुर आने पर एक डेंटल कॉलेज के निजी गेस्ट हाउस में रुकते हैं।
परीक्षाओं में गड़बड़ी पर लगी थी फटकार
सूत्रों की मानें तो मेडिकल परीक्षा और परिणामों में धांधली उजागर होने के बाद चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत बरवड़े शुक्रवार को पहली बार मप्र यूनिवर्सिटी पहुंचे थे। यहां उन्होंने बैठक में यूनिवर्सिटी के कारनामों पर नाराजगी जताई थी। अकेडमिक कलेंडर का पालन नहीं करा पाने को लेकर कुलपति और कुलसचिव प्रभात बुधौलिया को फटकार भी लगाई थी। इस्तीफे के पीछे ये भी एक बड़ी वजह बताई जा रही है। इसी के बाद डॉक्टर दुबे ने शुक्रवार देर रात ही अपना इस्तीफा राज्यपाल को भेज दिया था।