आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : क्रिकेट का सबसे बड़ा फेस्टिवल वनडे वर्ल्ड कप आज से शुरू होने जा रहा है। 46 दिन तक चलने वाले इस मेगा इवेंट में 19 नवंबर तक कुल 48 मैच होंगे। अपने अस्तित्व पर कई सवाल झेल चुके वनडे फॉर्मेट का भविष्य भी इसी वर्ल्ड कप पर निर्भर माना जा रहा है।

ज्यादातर टीमों का फोकस अब फ्रेचाइजी और टी-20 क्रिकेट पर होने लगा है। 50-50 ओवर की क्रिकेट पर भी इसका असर पड़ रहा है। खेल के बदलते हुए अंदाज और भारत की कंडीशन के हिसाब से 5 फैक्टर्स ऐसे हैं जो टूर्नामेंट का नतीजा निर्धारित कर सकते हैं।

फैक्टर-1: रिस्ट स्पिनर्स

वनडे क्रिकेट में 2011 से 2 नई गेंदों के इस्तेमाल का नियम आया। तब से ही इस फॉर्मेट में हरभजन सिंह, डेनियल विटोरी और रवि अश्विन जैसे ट्रैडिशनल फिंगर स्पिनर्स का प्रभाव कम हुआ और रिस्ट स्पिनर्स का असर बढ़ने लगा। रिस्ट स्पिनर गेंद को कलाई की मदद से टर्न कराते हैं। युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव और एडम जम्पा जैसे गेंदबाज रिस्ट स्पिनर्स कहलाते हैं।

ICC की वनडे रैंकिंग के टॉप-10 में 3 रिस्ट स्पिनर्स शामिल हैं। यहां तक कि पिछले 10 साल में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले टॉप-5 स्पिन गेंदबाजों में 4 रिस्ट स्पिनर्स ही हैं। खास बात ये भी कि इनसे शुरुआती ओवर, मिडिल ओवर्स या डेथ ओवर्स कहीं भी गेंदबाजी कराई जा सकती है।

रिस्ट स्पिनर्स अहम इसलिए भी हो जाते हैं क्योंकि ये पार्टनरशिप तोड़ते हैं, सेट बैटर को आउट करते हैं, निचले क्रम के बैटर्स उनकी टर्न नहीं पढ़ पाते और कई बार बड़े-बड़े बैटर्स भी रिस्ट स्पिन के जाल में फंस जाते हैं। इसीलिए इस कला के गेंदबाज और भी ज्यादा अहम होते हैं।

इस वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के आदिल रशीद, अफगानिस्तान के राशिद खान, भारत के कुलदीप यादव, ऑस्ट्रेलिया के एडम जम्पा और पाकिस्तान के शादाब खान जैसे रिस्ट स्पिनर्स अपनी टीमों के लिए ट्रम्प कार्ड साबित होंगे। खासकर चेन्नई, दिल्ली और लखनऊ जैसी स्पिन पिचों पर तो ये गेंदबाज कुछ ज्यादा ही असरदार रहेंगे।

नीचे लगे क्रिएटिव में देखें इस वर्ल्ड कप में हिस्सा ले रहे टॉप-5 रिस्ट स्पिनर्स की वनडे क्रिकेट में परफॉर्मेंस…

फैक्टर-2: स्लोअर बॉल

2 नई गेंद और फील्ड रिस्ट्रिक्शन के नए नियम तेज गेंदबाजों के लिए कुछ ज्यादा ही सख्त थे। इन नियमों ने वनडे क्रिकेट में बैटर्स को हावी और गेंदबाजों को कमजोर बनाया। रिवर्स स्विंग पूरी तरह से खत्म हो गई और बॉलर्स के पास विकेट लेने के बहुत कम ऑप्शन बचे। लेकिन टी-20 में बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने वाली स्लोअर बॉल ने मॉडर्न डे क्रिकेट में तेज गेंदबाजों की इज्जत और साख दोनों को बचा रखा है।

 

तेज गेंदबाज स्लोअर बॉल को वैरिएशन के रूप में यूज करते हैं। इसमें गेंदबाज का हाथ तो नॉर्मल स्पीड से घूमता है, लेकिन गेंद की स्पीड कम हो जाती है। बैटर वैरिएशन को पकड़ नहीं पाते, वह अपने शॉट को मिस टाइम कर कई बार विकेट गंवा बैठते हैं। नकल बॉल, बैक ऑफ हैंड और ऑफ कटर भी स्लोअर बॉल के कुछ वैरिएशन हैं।

डेथ ओवर्स में बैटर्स का फोकस तेजी से रन बनाने पर रहता है। ऐसे में स्लोअर बॉल सबसे ज्यादा कारगर होती है और गेंदबाज को ज्यादा से ज्यादा विकेट दिलाती है। वनडे क्रिकेट में 41 से 50 ओवर का फेज डेथ ओवर्स कहलाता है।

बांग्लादेश के मुस्तफिजुर रहमान, भारत के जसप्रीत बुमराह, ऑस्ट्रेलिया के पैट कमिंस, न्यूजीलैंड के ट्रेंट बोल्ट, पाकिस्तान के शाहीन शाह अफरीदी और हारिस रऊफ जैसे गेंदबाज स्लोअर बॉल की कला का बखूबी इस्तेमाल करते हैं। इस वर्ल्ड कप में ये गेंदबाज ही डेथ ओवर्स में अपनी टीम की स्ट्रेंथ साबित होंगे।

नीचे लगे क्रिएटिव से समझें पिछले 4 साल में किन तेज गेंदबाजों ने डेथ ओवर्स में सबसे ज्यादा विकेट निकाले हैं…

फैक्टर-3: रनिंग बिटवीन द विकेट्स

टी-20 क्रिकेट के दौर में लम्बे-लम्बे छक्के मारना दर्शकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है, लेकिन वर्ल्ड कप में मिनिमम 70 मीटर की बाउंड्री नियम के आगे दर्शकों का ये आकर्षण कम ही देखने को मिलेगा। ऐसे में वनडे क्रिकेट का ब्रह्मास्त्र ‘रनिंग बिटवीन द विकेट्स’ ही बैटर्स के सबसे ज्यादा काम आएगा।

लंबी बाउंड्री होने से फील्डर दूर-दूर खड़े रहेंगे। ऐसे में बैटर्स को अपने ज्यादा से रन दौड़कर ही बनाने होंगे। खास तौर पर सिंगल को डबल और डबल को ट्रिपल में कन्वर्ट करना ही होगा। इससे बॉलिंग टीम पर प्रेशर बढ़ेगा, गेंदबाज भी दबाव नहीं बना पाएगा और अपनी लाइन-लेंथ से भटक जाएगा। बैटिंग टीम इसी का फायदा उठाकर बड़े शॉट्स भी लगा सकेगी।

11 से 40 ओवर का फेज वनडे में वैसे तो सबसे बोरिंग फेज कहलाता है, लेकिन इसी फेज में स्ट्राइक रोटेट करते रहना बेहद अहम रहता है। क्योंकि एक बैटर इसी फेज में रन दौड़कर सेट होता है और सेट होने के बाद वही बैटर अपनी टीम को बड़े स्कोर तक ले जाता है।

भारत के विराट कोहली इस वक्त रनिंग बिटवीन द विकेट्स के मामले में बेस्ट हैं। उन्होंने पिछले 4 साल में अपने 56% रन दौड़कर बनाए हैं। सेट होने के बाद वह बाउंड्री से भी खूब रन बनाते हैं। बांग्लादेश के मुशफिकुर रहीम, पाकिस्तान के बाबर आजम और इमाम-उल-हक जैसे बैटर्स भी वनडे में अपने ज्यादातर रन दौड़कर ही बनाते हैं।