हाल के दिनों में “डीप स्टेट” को लेकर चर्चा और अटकलें तेज हो गई हैं। यह सवाल कि क्या अमेरिकी डीप स्टेट भारत में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहा है, कुछ लोगों के लिए गंभीर विषय हो सकता है, लेकिन अधिकांश विश्लेषकों और तथ्यों के आधार पर यह केवल एक और कांस्पिरेसी थ्योरी साबित होती है।

डीप स्टेट: भ्रम या हकीकत?
“डीप स्टेट” शब्द ऐसा लगता है, मानो कोई छिपी ताकत दुनिया को नियंत्रित कर रही हो। भारत में, पहले इस प्रकार के विचारों को “विदेशी हाथ” कहा जाता था। इंदिरा गांधी ने अकसर पाकिस्तान या अमेरिका को राजनीतिक समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया।

हालांकि, मौजूदा हालात में भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते रिश्ते इन षड्यंत्रकारी विचारों को कमजोर कर देते हैं।

भारत-अमेरिका के मजबूत रक्षा संबंध
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA): इस समझौते ने भारत को अमेरिकी सैटेलाइट डेटा तक पहुंच दी।
सीमा झड़प में मदद: अरुणाचल प्रदेश में 2022 की चीन-भारत झड़प के दौरान अमेरिका ने भारतीय सेना को चीनी गतिविधियों की रियल टाइम जानकारी दी।
तकनीकी सहयोग: उन्नत सैन्य उपकरणों और तकनीकों पर भारत-अमेरिका मिलकर काम कर रहे हैं।
इन प्रयासों का सीधा उद्देश्य भारत को मजबूत बनाना है, न कि अस्थिर।

आर्थिक संबंध: एक और मजबूत पक्ष
भारत-अमेरिका के बीच व्यापार 2014 से तीन गुना बढ़कर 200 अरब डॉलर के करीब पहुंच चुका है। इसके अलावा:

भारतीय-अमेरिकियों की भागीदारी: बाइडेन प्रशासन में 130 भारतीय-अमेरिकी काम कर रहे हैं।
कॉरपोरेट नेतृत्व: भारतीय मूल के सीईओ जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, और अन्य प्रमुख कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं, जिनका भारत में बड़ा बाजार है।
षड्यंत्र के सिद्धांतों की पोल
अदाणी समूह के खिलाफ आरोप हों या बांग्लादेश की राजनीति में अमेरिकी भूमिका के दावे, ये सब आरोप तथ्यों की बजाय भावनाओं पर आधारित हैं।

अदाणी मामला: अमेरिकी सिक्योरिटीज एक्सचेंज कमीशन (SEC) एक रेगुलेटरी एजेंसी है, डीप स्टेट नहीं।
बांग्लादेश: शेख हसीना के खिलाफ विरोध उनकी तानाशाही नीतियों के कारण था, न कि अमेरिकी हस्तक्षेप का परिणाम।
निष्कर्ष
भारत को इन षड्यंत्रकारी विचारों से ऊपर उठकर तथ्यों और वास्तविकताओं पर ध्यान देना चाहिए। अमेरिका, भारत को एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए एक मजबूत साझेदार के रूप में देखता है।

आवश्यकता इस बात की है कि भारत अपनी नीतियों को और अधिक प्रभावी बनाए, न कि आधारहीन कांस्पिरेसी थ्योरीज़ में उलझे।

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