सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल:  ईरान में पिछले कुछ वक्त से महिला अधिकारों और हिजाब को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इसी बीच बुधवार को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने महिलाओं को लेकर कई सोशल मीडिया पोस्ट किए।

खामनेई ने कहा कि महिलाएं फूल की तरह हैं, इनकी देखभाल की जानी चाहिए। परिवार का खर्च उठाने कि जिम्मेदारी पुरुष की है, जबकि महिलाओं पर बच्चे पैदा करने की जिम्मेदारी है। इसके साथ ही उन्होंने वेस्टर्स कल्चर को अनैतिक बताया।

खामेनेई ने X पर लिखा-

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा- औरतें नाजुक फूल है, नौकरानी नहीं। घर में एक महिला को फूल की तरह माना जाना चाहिए। एक फूल की देखभाल की जानी चाहिए।

ईरान में कुछ दिन पहले महिला सिंगर परस्तू अहमदी की गिरफ्तारी के बाद हिजाब कानून को लेकर बहस तेज हो गई है। परस्तू अहमदी ने 11 दिसंबर को यूट्यूब पर कॉन्सर्ट का वीडियो अपलोड किया था। इस वीडियो में अहमदी स्लीवलेस ड्रेस पहनकर गाना गा रही थीं।

कुछ लोग मातृत्व को नकारात्मक तौर पर पेश करते हैं वेस्टर्न कल्चर को लेकर ईरानी सुप्रीम लीडर ने कहा कि आज पश्चिम में जो अनैतिकता है, वह हाल ही की घटना है। जब कोई 18वीं और 19वीं सदी की किताबें पढ़ता है और उनमें यूरोपीय महिलाओं का जिक्र पढ़ता है तो पता चलता है कि उस वक्त कई सामाजिक नियम थे जैसे- शालीन कपड़े पहनना, जो आज के वक्त वहां मौजूद नहीं है।

खामनेई ने आगे लिखा कि कुछ लोग मातृत्व को नकारात्मक तौर पर पेश करते हैं। अगर कोई कहता है कि बच्चे पैदा करना जरूरी है तो उनका मजाक उड़ाया जाता है और कहा जाता है कि आप चाहते हैं कि महिलाएं सिर्फ बच्चे पैदा करें।

बढ़ते विरोध की वजह से नए हिजाब कानून पर रोक लगाई

ईरानी सुप्रीम लीडर का यह बयान उस वक्त आया है जब पिछले सोमवार को ईरान ने विवादित नए हिजाब और शुद्धता कानून पर रोक लगाई है। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजशकियान ने इस कानून अस्पष्ट कहते हुए इसमें सुधार की जरूरत बताई है।

इस कानून के मुताबिक जो महिलाएं अपने सिर के बाल, हाथ और पैर पूरी तरह से नहीं ढकेंगी उनके लिए 15 साल जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

2022 में 22 साल की महसा अमिनी को पुलिस ने हिजाब नहीं पहनने पर गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के 3 दिन बाद पुलिस कस्टडी में उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद पूरे ईरान में हिजाब कानून को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे।

1936 में आजाद थीं महिलाएं, 1983 में जरूरी हुआ हिजाब

ईरान में हिजाब लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहा है। 1936 में नेता रेजा शाह के शासन में महिलाएं आजाद थीं। शाह के उत्तराधिकारियों ने भी महिलाओं को आजाद रखा लेकिन 1979 की इस्लाम क्रांति में आखिरी शाह को उखाड़ फेंकने के बाद 1983 में हिजाब जरूरी हो गया।

ईरान पारंपरिक रूप से अपने इस्लामी दंड संहिता के अनुच्छेद 368 को हिजाब कानून मानता है। इसके मुताबिक ड्रेस कोड का उल्लंघन करने वालों को 10 दिन से दो महीने तक की जेल या 50 हजार से 5 लाख ईरानी रियाल के बीच जुर्माना हो सकता है।

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