सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: ईरान सीरिया में अपने दूतावास पर हमले के बाद इजराइल से बदला लेने की की तैयारी कर रहा है। इस बीच शनिवार को ईरान ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वो इजराइल और उनके मसले के बीच न आए।
ईरानी राष्ट्रपति के ‘डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ’ मोहम्मद जमशीदी ने अमेरिका से कहा, “इजराइली PM बेंजामिन नेतन्याहू के जाल में न फंसें। अगर आप चाहते हैं कि हमले में आपको नुकसान न हो तो मामले से दूर रहें।”
जमशीदी ने बताया अमेरिका ने उनकी चेतावनी पर कहा है कि उनके ठिकानों पर हमले नहीं होने चाहिए। CNN ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में लिखा, ‘ईरान की चेतावनी को लेकर अमेरिकी सेना हाई अलर्ट पर है।’
दरअसल, 1 अप्रैल को इजराइल ने सीरिया में ईरानी वाणिज्य दूतावास के पास एयरस्ट्राइक की थी। इसमें ईरान के दो आर्मी कमांडर्स समेत 13 लोग मारे गए थे। इसके बाद ईरान ने इजराइल को बदला लेने की धमकी दी थी।
अमेरिका के बाइडेन प्रशासन को चिंता है कि ईरान जल्द ही इजराइल के मिलिट्री या इंटेलिजेंस टारगेट्स पर हमला कर सकता है। इजराइल-हमास जंग की शुरुआत से ही अमेरिका, इजराइल को सपोर्ट कर रहा है।
ईरानी हमले को लेकर इजराइल सतर्क
इजराइल को ईरान की तरफ से हमले की आशंका है। इसलिए उसने अपना GPS नेविगेशन सिस्टम बंद कर दिया है। माना जाता है कि गाइडेड मिसाइलों के हमलों को रोकने के लिए GPS को बंद किया जाता है।
इसके अलावा सभी सैनिकों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं हैं। सेना ने कहा कि हमारे सैनिक पहले से युद्ध में हैं। स्थिति को देखते हुए अस्थायी लड़ाकू इकाइयों की छुट्टी रद्द की गई है। इतना ही नहीं एयर डिफेंस कमांड को अलर्ट पर रखा गया है। कई शहरों में एंटी बॉम्ब शेल्टर शुरू कर दिए गए हैं। लोगों से कहा गया है कि वे किसी प्रकार के डर में न रहें और न ही घरों में जरूरत से ज्यादा राशन जुटाएं।
इजराइल ने सीरिया में हमला क्यों किया…
इजराइल ने सीरिया में एयरस्ट्राइक के जरिए ईरान को यह मैसेज देना चाहा कि अगर वह हमास और हिजबुल्लाह जैसे आतंकी संगठनों की मदद करता रहा तो उसके ठिकानों को निशाना बनाया जाएगा। सीरिया में ईरान की एंबेसी है और वहां उसके कई सैनिक भी मौजूद हैं जो वहां के राष्ट्रपति बशर अल असद के लिए विद्रोही गुटों से लड़ रहे हैं। 1 अप्रैल को इजराइल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क के करीब ऐसे ही ठिकानों को निशाना बनाया था।
इजराइल ने सीरिया में ईरान के दूतावास के पास वाली बिल्डिंग को निशाना बनाया था। इस बिल्डिंग में ईरान का वाणिज्य दूतावास था।
पूरे मिडिल ईस्ट में जंग फैल सकती है
ईरान और इजराइल के बीच दुश्मनी जगजाहिर है, हालांकि दोनों देश कभी सीधेतौर पर एक-दूसरे से टकराने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। ईरान ने हमेश हमास और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों का सहारा लिया। वहीं, इजराइल सीधे तौर पर ईरानी ठिकानों पर हमला करता है। अब अगर ईरान सीधेतौर पर इजराइल को निशाना बनाता है तो सबसे बड़ा खतरा इस बात का है कि पूरे मिडिल ईस्ट में यह जंग फैल जाएगी और इसके नतीजे खतरनाक होंगे।
गाजा जंग में फंसे इराक और सीरिया
सीरिया में 1 अप्रैल को जैसे ही ईरान के दूतावास पर हमला हुआ तो सबसे पहले बयान अमेरिका का आया। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि इस हमले में उनका हाथ नहीं है। दरअसल, गाजा में इजराइल और हमास के बीच जंग शुरू होने के बाद अमेरिका और इजराइल की तरफ से इराक और सीरिया में कई ईरानी ठिकानों पर हमले हुए हैं।
बदले में ईरान ने अमेरिका और इजराइली ठिकानों को निशाना बनाया है। इसके चलते इराक ने सभी देशों से अपील कि है कि वो उनके मुल्क को अपनी दुश्मनी की भेंट न चढ़ाएं। इराक ने अमेरिका से कहा कि वो उनके देश से अपने सारे सैनिक निकाल ले। इसे लेकर इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल सुदानी 15 अप्रैल को अमेरिका का दौरा करेंगे। सुदानी और बाइडेन से मुलाकात में इराक से अमेरिकी सैनिक निकालने का पूरा प्लान तैयार किया जाएगा।