सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: वनडे क्रिकेट के शुरुआती 37 साल में 31 बार 350 से ज्यादा का स्कोर बना था। पिछले 17 साल में इससे 4.6 गुना ज्यादा 145 बार 350 प्लस का स्कोर बन चुका है। यह पॉसिबल हुआ क्योंकि 17 साल पहले 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की शुरुआत हो गई। इस लीग ने बल्लेबाजों का स्कोरिंग रेट तेजी से बढ़ाया।
IPL के बाद ही मेंस वनडे में पहली डबल सेंचुरी लगी, जिसका आंकड़ा अब 12 तक पहुंच चुका है। टी-20 टीमें 16 से बढ़कर 103 हो गईं। वहीं टेस्ट फॉर्मेट इंटरेस्टिंग हुआ, टीमें ड्रॉ की बजाय रिजल्ट पर फोकस करने लगीं, जिस कारण 80% मुकाबलों के नतीजे आ रहे हैं।
IPL 2024 सीरीज के पार्ट-3 में आज हम वनडे, टेस्ट और टी-20 फॉर्मेट पर IPL का इम्पैक्ट जानेंगे। इसे हम 4 पार्ट्स में देखेंगे, पहला मैचों की संख्या, दूसरा स्कोरिंग रेट, तीसरा बैटर्स और चौथा बॉलर्स पर इम्पैक्ट।
- टी-20 फॉर्मेट पर IPL का प्रभाव
पार्ट-1: साल के मैच 33 से बढ़कर 280 हुए
17 फरवरी 2005 को टी-20 इंटरनेशनल की शुरुआत हुई, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने पहला मैच खेला। 2 साल बाद इस फॉर्मेट का वर्ल्ड कप खेला गया, जिसे महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने जीता। अगले ही साल भारत में क्रिकेट का पहला फ्रेंचाइजी टूर्नामेंट इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) शुरू हो गया। जिसने क्रिकेट की डेफिनेशन ही चेंज कर दी।
2010 तक 6 साल में टी-20 इंटरनेशनल खेलने वाले देश 17 थे। एक साल में औसतन 33 मैच होते थे और टीमें 6 साल में औसतन 12 ही मैच खेलती थीं। अगले 6 साल में सालान औसतन मैच बढ़कर 63 हुए और टीमों की संख्या 21 हो गई। लेकिन असली बदलाव 2017 से हुआ। तब से टी-20 खेलने वाली टीमें 5 गुना बढ़कर 103 हो चुकी हैं। साल के औसतन मैचों का आंकड़ा भी 280 तक पहुंच गया है।
नेपाल, मंगोलिया, जर्सी जैसे दुनिया के कई छोटे-छोटे देशों ने टी-20 फॉर्मेट से क्रिकेट खेलने की शुरुआत कर दी। क्रिकेट इस फॉर्मेट से ग्लोबल स्पोर्ट बनता जा रह है और अब 2028 के ओलिंपिक्स में भी शामिल हो गया। 2024 का टी-20 वर्ल्ड कप भी वेस्टइंडीज के साथ अमेरिका जैसे देश की मेजबानी में खेला जाएगा। जहां रग्बी, बास्केटबॉल और बेसबॉल जैसे खेलों का बोलबाला है।