आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : 10 टीमें, 70+ मैच और 52 दिन का महासमर…IPL 2023। तालियों की गूंज और पैसे की चकाचौंध का मेला अब खत्म हो चुका है।

हिस्सा लेने वाली 10 टीमों में से एक चैंपियन को 20 करोड़ का प्राइज मिला। प्लेऑफ में पहुंचने वाली तीन और टीमों को भी कैश प्राइज मिला।

मगर बाकी 6 टीमें खाली हाथ लौट गईं!!!

नहीं, दरअसल ऐसा नहीं है। IPL में हिस्सा लेने वाली टीमों के लिए प्राइज मनी तो कमाई का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है।

70 हजार करोड़ की ब्रांड वैल्यू पार कर चुकी IPL में हिस्सा लेने वाली हर टीम मालामाल हो रही है।

आज हम आपको बताएंगे कि आखिर IPL की ये टीमें बनती कैसे हैं, एक टीम ओनर बनने के लिए क्या करना पड़ता है? और फिर कमाई का गणित क्या है?

जानिए, IPL की फ्रेंचाइजी का पूरा अर्थशास्त्र…

पहले समझिए, आखिर IPL की टीमें बनती कैसे हैं

ऑक्शन में तय होता है टीम का ओनर…ऑक्शन में हिस्सा लेने के लिए भी 3,000 करोड़ का वैल्युएशन जरूरी

BCCI तय करती है कि IPL में कब नई टीम जोड़नी है। टीम की ओनरशिप का फैसला ऑक्शन के जरिये होता है। मगर इस ऑक्शन में हर कोई हिस्सा नहीं ले सकता।

ऑक्शन में हिस्सा लेने की पहली शर्त होती है कि उस व्यक्ति या ग्रुप की वैल्युएशन 3,000 करोड़ रुपए या इससे ज्यादा हो। ये शर्त पूरी करने वाले ई-मेल के जरिये BCCI को आवेदन भेजते हैं। BCCI ही तय करता है कि आवेदन करने वालों में किसे ऑक्शन में बैठने की अनुमति दी जाए।

2008 में बनी थी 8 टीमें…2022 में 2 और जुड़ीं

IPL के पहले सीजन यानी 2008 में कुल 8 शहरों के नाम पर टीमों को अनाउंस किया गया था। फिर अलग-अलग कंपनियों ने बोली लगाकर टीमें खरीदीं।

2008 में BCCI ने टीमों के ऑक्शन के लिए बेस प्राइस 379 करोड़ रुपए रखा था। मुंबई के लिए सबसे ज्यादा 850 करोड़ रुपए।

बीच में राजस्थान और चेन्नई की टीमों पर बैन लगने पर BCCI ने पुणे और कोच्चि की टीमें शुरू की थीं। मगर बाद में ये टीमें खत्म हो गईं और राजस्थान और चेन्नई लीग में लौट आईं।

2021 में IPL में दो नई टीमें जोड़ने का ऐलान किया गया। गुजरात और लखनऊ के नाम पर बनी इन टीमों के लिए ऑक्शन दुबई में हुआ था। इसमें अडाणी ग्रुप, टॉरेंट और मैनचेस्टर यूनाइटेड ने भी हिस्सा लिया था।