सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: इंटरआर्च बिल्डिंग प्रोडक्ट्स लिमिटेड का शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर इश्यू प्राइस से 44.33% ऊपर ₹1,299 पर लिस्ट हुआ। वहीं, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर शेयर इश्यू प्राइस से 43.47% ऊपर ₹1,291.20 पर लिस्ट हुआ। इस IPO का इश्यू प्राइस ₹900 था।
यह IPO 19 अगस्त से 21 अगस्त तक निवेशकों के लिए ओपन था। तीन कारोबारी दिनों में IPO टोटल 93.79 गुना सब्सक्राइब हुआ था। रिटेल कैटेगरी में 19.46 गुना, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) में 197.29 गुना और नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) कैटगरी में 130.91 गुना सब्सक्राइब हुआ था।
₹600.29 करोड़ का था इंटरआर्च बिल्डिंग प्रोडक्ट्स का इश्यू
इंटरआर्च बिल्डिंग प्रोडक्ट्स लिमिटेड का ये इश्यू टोटल ₹600.29 करोड़ का था। इसके लिए कंपनी ₹200 करोड़ के 2,222,222 फ्रेश शेयर इश्यू किए। जबकि, कंपनी के मौजूदा निवेशक ऑफर फॉर सेल यानी OFS के जरिए ₹400.29 करोड़ के 4,447,630 शेयर बेचे।
मैक्सिमम 208 शेयर के लिए बिडिंग कर सकते थे रिटेल निवेशक
इंटरआर्च बिल्डिंग प्रोडक्ट्स ने इस इश्यू का प्राइस बैंड ₹850-₹900 तय किया था। रिटेल निवेशक मिनिमम एक लॉट यानी 16 शेयर्स के लिए बिडिंग कर सकते थे। यदि आप IPO के अपर प्राइस बैंड ₹900 के हिसाब से 1 लॉट के लिए अप्लाय करते, तो इसके लिए ₹14,400 इन्वेस्ट करने होते।
वहीं, मैक्सिमम 13 लॉट यानी 208 शेयर्स के लिए रिटेल निवेशक अप्लाय कर सकते थे। इसके लिए निवेशकों को अपर प्राइज बैंड के हिसाब से ₹187,200 इन्वेस्ट करने होते।
इश्यू का 35% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए रिजर्व था
कंपनी ने इश्यू का 50% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए रिजर्व रखा था। इसके अलावा 35% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स और बाकी का 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रिजर्व था।
इंटरआर्च बिल्डिंग प्रोडक्ट्स लिमिटेड की स्थापना 1983 में हुई थी
इंटरआर्च बिल्डिंग प्रोडक्ट्स लिमिटेड की स्थापना 1983 में हुई थी। यह भारत में टर्नकी प्री-इंजीनियर्ड स्टील कंस्ट्रक्शन सॉल्यूशन कराती है। कंपनी प्री-इंजीनियर्ड स्टील बिल्डिंग (PEB) के कंस्ट्रक्शन और इंस्टॉलेशन के लिए डिजाइन, इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग और ऑन साइट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की सर्विस प्रोवाइड करती है।
कंपनी की चार मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज हैं, जिनमें से दो तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में और दो उत्तराखंड के पंतनगर व किच्छा में हैं।