सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: इंदौर से मनमाड़ के बीच प्रस्तावित नई ब्रॉडगैज रेललाइन की मंजूरी का ऐलान हाल ही में किया गया, जो कि लंबे संघर्ष और इंतजार का नतीजा है। यह परियोजना 106 साल पुरानी मांग पर आधारित है, जिसकी आवश्यकता काफी समय से महसूस की जा रही थी। पिछले 10 सालों में इस प्रोजेक्ट को तीन बार नकारा गया था, लेकिन 2019 के बाद हुए नए सर्वे में इसकी रिपोर्ट सकारात्मक आई और अब यह परियोजना प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत बनाई जाएगी, जिसकी मॉनिटरिंग सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से होगी।
इतिहास और मांग की शुरुआत
रेलवे विशेषज्ञ नागेश नामजोशी के अनुसार, इस रेललाइन की मांग सबसे पहले 1918 में होल्कर राजा द्वारा पैट्रिक गिडिस नामक शहरी विकास विशेषज्ञ के सुझाव के आधार पर की गई थी। उस समय यह महसूस किया गया था कि इंदौर से मनमाड़ के बीच सीधी रेललाइन बनने से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच सीधा संपर्क स्थापित हो सकेगा, जिससे उत्तर-दक्षिण भारत के लिए इंदौर एक महत्वपूर्ण केंद्र बन जाएगा।
आजादी के बाद, कई आंदोलनों के बावजूद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। 1999 के बाद एक बार फिर से प्रयास किए गए, लेकिन सर्वे रिपोर्ट में रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI) निगेटिव होने की वजह से इसे फिर से रद्द कर दिया गया। अंततः 2024 में तीसरी बार राजनीतिक दबाव और नए सर्वे के आधार पर इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई है।
गति शक्ति योजना से जुड़े लाभ
यह परियोजना प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत पूरी की जाएगी, जिससे इसकी मॉनिटरिंग सीधे PMO द्वारा की जाएगी। इस परियोजना के तहत धार, खरगोन और बड़वानी जैसे आदिवासी जिलों में रेललाइन बनाई जाएगी, जहां आजादी के बाद से कोई सीधा रेल कनेक्शन नहीं है। इस रेललाइन से न सिर्फ यातायात आसान होगा, बल्कि मालवा-निमाड़ के व्यापारियों और उद्योगपतियों को भी लाभ मिलेगा।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के लिए फायदे
मध्यप्रदेश के धार, खरगोन और बड़वानी जिलों के व्यापारियों को इस रेललाइन से बड़ा फायदा होगा, विशेषकर पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया को। यहां से कपास, सोयाबीन, मिर्च और प्याज जैसी कृषि उत्पादों का निर्यात सीधे महाराष्ट्र के बंदरगाहों तक किया जा सकेगा। वहीं, महाराष्ट्र के नासिक, धुले और नंदूरबार जिलों से प्याज और मोटे अनाज का निर्यात उत्तर भारत के राज्यों में आसानी से हो सकेगा।
जमीन अधिग्रहण और लागत
इस 309 किलोमीटर लंबी रेललाइन के लिए 1701 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी, जिसमें से 1420 हेक्टेयर निजी जमीन होगी। मध्यप्रदेश में 905 हेक्टेयर और महाराष्ट्र में 796 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जाएगी। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 18,036 करोड़ रुपए होगी, जिसमें मध्यप्रदेश सरकार 10% यानी 1,362.80 करोड़ रुपए का योगदान देगी, जबकि शेष राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी। महाराष्ट्र सरकार की इस परियोजना में कोई वित्तीय हिस्सेदारी नहीं होगी।
34 रेलवे स्टेशन होंगे शामिल
इस नई लाइन पर इंदौर से मनमाड़ के बीच कुल 34 रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें से 30 नए स्टेशन होंगे और चार पुराने स्टेशनों को जोड़ा जाएगा। मध्यप्रदेश में कुल 18 रेलवे स्टेशन होंगे, जिसमें इंदौर के महू से लेकर महाराष्ट्र की सीमा तक नए स्टेशन शामिल हैं।
निष्कर्ष
इंदौर-मनमाड़ रेललाइन प्रोजेक्ट की मंजूरी से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के व्यापार और उद्योग जगत को नया जीवन मिलेगा। यह परियोजना न केवल इन दोनों राज्यों के व्यापारिक विकास को गति देगी, बल्कि पूरे देश के उत्तर-दक्षिण हिस्सों के बीच एक महत्वपूर्ण परिवहन मार्ग के रूप में काम करेगी।