सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: इंदौर हाईकोर्ट ने धार जिले के 250 करोड़ रुपये के कथित जमीन घोटाले के मामले को शून्य घोषित कर दिया है। इस मामले में 34 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें 24 पुरुष और 10 महिलाएं शामिल थीं। कोर्ट ने पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को पूरी तरह रद्द कर दिया और तत्कालीन एसपी सहित अन्य पुलिस अधिकारियों पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

मामले की पृष्ठभूमि

पुलिस ने एक आदतन अपराधी की शिकायत पर 28 नवंबर 2021 को इस मामले में कार्रवाई शुरू की थी, जिसके बाद 27 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इनमें शहर के कई प्रतिष्ठित लोग शामिल थे, और कई आरोपियों ने जेल में समय बिताया, जिनमें एक 60 वर्षीय वृद्धा भी थीं।

कोर्ट के फैसले की प्रमुख बातें

कोर्ट ने मामले को रद्द करने के पीछे पांच मुख्य कारण बताए:

  1. साक्ष्य की कमी: सरकार ने दावा किया था कि 1895 में धार महाराज ने जमीन अस्पताल के लिए दी थी, लेकिन इस संबंध में कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए।
  2. जमीन का सरकारी होना: कोर्ट में यह साबित नहीं हुआ कि जमीन कभी सरकारी थी, और यदि ऐसा था, तो इसकी रजिस्ट्रियों और निर्माण के लिए अनुमति कैसे दी गई?
  3. सेल डीड का वैधता: जब तक शासन द्वारा सेल डीड को अवैधानिक घोषित नहीं किया जाता, तब तक उस आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती।
  4. पूर्व मुकदमों का प्रभाव: पहले के मुकदमों में शासन ने कभी भी यह दावा नहीं किया कि यह जमीन सरकारी संपत्ति है, इसलिए नए केस को असंवैधानिक माना गया।
  5. कलेक्टर की परमिशन: कोर्ट ने माना कि नगर पालिका क्षेत्र में संपत्ति होने के कारण कलेक्टर की परमिशन के बिना जमीन बेची जा सकती है, जो कि कानून के अनुसार सही है।

निष्कर्ष

इस मामले में न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जांच और आरोपों में गंभीर कमियां थीं। कोर्ट के फैसले ने यह दर्शाया कि बिना ठोस सबूतों के आरोप नहीं लगाए जा सकते, और पुलिस की कार्रवाई को उचित नहीं ठहराया जा सकता। यह निर्णय उन सभी लोगों के लिए राहत लेकर आया है जो इस मामले में गलत तरीके से आरोपी बनाए गए थे।